सीओपी की मेजबानी न केवल भारत की प्रमुख जैव विविधता वाले देश के रूप में भूमिका बल्कि जैव विविधता के संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व करने की उसकी कटिबद्धता प्रदर्शित करता है।

पर्यावरण एवं वन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयराम रमेश द्वारा प्रेसवार्ता को संबोधित करने के बाद जारी विज्ञप्ति के अनुसार सीबीडी 1992 में रियो-डि-जेनेरियो में हुए ऐतिहासिक पृथ्वी सम्मेलन में स्वीकृत महत्त्वपूर्ण समझौतों में से एक है। यह पहला समग्र वैश्विक समझौता है जो जैवविविधता से संबंधित सभी पहलुओं का समाधान करता है।


दसवां सीओपी अक्टूबर , 2010 में नागोया में आयोजित होगा। भारत वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम बनाकर दुनिया के कुछ उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया था जिन्होंने इसपर राष्ट्रीय कानून बनाए हैं। चेन्नै में राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण की भी स्थापना की गयी है।

भारत ने पारंपरिक ज्ञान का डाटाबेस पारंपरिक ज्ञान डिजीटल पुस्तकालय भी बनाया है जिसका प्रबंधन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के हाथ में है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जैवविविधता को खतरों से संरक्षण पर जागरुकता फैलाने के लिए वर्ष 2010 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित किया है। हमारी समृद्ध जैवविविधता पर स्कूली बच्चों की 12 पुरस्कार विजेता चित्रों को सम्मिलित करते हुए वर्ष 2010 का कैलेंडर भी जारी किया गया है।#