जिस गंदे खेल के कारण कांग्रेस लोगों के बीच बदनाम हो रही है, उस गंदे खेल को जारी रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का उसने उस समय एक बार फिर इजहार कर दिया, जब केन्द्र सरकार ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक महिला की जासूसी के मामले की न्याययिक जांच करने का फैसला किया। आखिर इस तरह के फैसले की क्या जरूरत थी? जिस लड़की की जासूसी की बात की जा रही है, उसकी तरफ से कोई शिकायत नहीं है और उसके परिवार की तरफ से भी कोई शिकायत नहीं है। अब जब कोई शिकायत ही नहीं है, तो जांच का कोई केस भी नहीं बनता। वैसे भी जांच गुजरात सरकार करवा रही है, फिर केन्द्र को इसमें पड़ने की क्या जरूरत है?

दरअसल कांग्रेस नरेन्द्र मोदी की चुनौती का राजनैतिक सामना करने में अपने आपको विफल पा रही है, इसलिए वह उनके ऊपर कीचड़ उछालने का गंदा खेल खेल रही है। केन्द्र सरकार ने फैसला किया है कि जांच आयोग तीन महीने के कार्यकाल में ही अपना काम कर लेगा और अपनी रिपोर्ट दे देगा। यह वह समय होगा, जब चुनाव प्रचार जोरों पर होगा। ठीक उसी समय भाजपा के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी पर कीचड़ उछालने का मौका कांग्रेस को मिल जाएगा। इस तरह की गंदी राजनीति कांग्रेस पहले से ही खेल रही है। माया, मुलायम, लालू और शीबू सोरेन को सीबीआई जांच के द्वारा उसने ब्लैकमेल किया है, हालांकि उनके मामले में वह सीबीआई द्वारा कार्रवाई को रुकवाकर उनका साथ ले रही है। लालू यादव को सीबीआई की सहायता से कांग्रेस ने किस प्रकार जेल से निकलवाया हम यह देख चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लालू की रिहाई का विरोध किया ही नहीं और कोर्ट को जमानत देनी पड़ी।

नरेन्द्र मोदी ही नहीं, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव और नीतीश कुमार के खिलाफ भी कांग्रेस गंदा खेल खेल रही है। अरविंद केजरीवाल अल्पमत में होने के कारण अपनी सरकार दिल्ली में नहीं बनाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने बिना समर्थन मांगे समर्थन देकर उन्हें सरकार बनाने के लिए बाध्य कर दिया। समर्थन देने के बाद कांग्रस के सुर बदल गए। पहले कहा गया कि समर्थन बिना शर्त है। अब कांग्रेसी कह रहे हैं कि समर्थन बिना शर्त नहीं हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से यह पार्टी बनी है। कांग्रेस के नेता धमकी दे रहे हैं कि यदि उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में फंसाया गया, तो वे चुप नहीं रहेंगे।

पश्चिम बंगाल में शारधा घोटाले पर भी सीबीआई का खराब रवैया जारी है। कहने की जरूरत नहीं कि वैसा कांग्रेस के इशारे पर ही सीबीआई कर रही है। इसका मकसद ममता बनर्जी को बदनाम करना है और उनकी पार्टी को कमजोर करना है। बिहार में नीतीश कुमार के साथ भी कांग्रेस का वैसा ही खेल जारी है। उसने पहले यह सुनिश्चित किया कि लालू यादव जमानत पाकर जेल से बाहर निकलें। अब वह लालू की पार्टी से गठबंधन की दिशा में बढ़ रही है। नीतीश ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आंदोलन किया था, तो केन्द्र सरकार ने राजन कमिटी बनाई थी, जिसकी कुछ सिफारिशें नीतीश को अच्छी लगी थी। केन्द्र सरकार उन सिफारिशों को लागू करने का संकेत दे रही थी, लेकिन अब संकेत यह है कि उन्हें लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि वैसा करन से बिहार में नीतीश का फायदा हो सकता है और कांग्रेस नहीं चाहती कि बिहार में नीतीश कुमार को कोई राजनैतिक फायदा हो।

उत्तर प्रदेश में केन्द्र सरकार मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गंदा खेल खेल रही है। मुजफ्फरनगर दंगे पर वह राजनीति गर्म कर रही है और राहुल गांधी अखिलेश यादव के खिलाफ ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे वहां का माहौल खराब हो सकता है। इस तरह कांग्रेस ने गंदा खेल खेलने के अपने काम को और भी विस्तार प्रदान कर दिया है। वह राजनीति के द्वारा नहीं, बल्कि सत्ता के द्वारा अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों को निबटाना चाहती है। (संवाद)