गौरतलब हो कि टीपी चंद्रशेखरन की हत्या में सीपीएम के नेताओं के शामिल होने के आरोप लगे थे। उस समय सीपीएम के नेताओं ने इसका खंडन किया था। पर कांगेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ इस आरोप को हवा दे रहा था। इस मामले में अदालत का एक फैसला भी आ चुका हे, जिसमें सीपीएम के कुछ स्थानीय स्तर के नेताओं को दोषी भी पाया गया है। उस फैसले के बाद सीपीएम सकते में है। पर उस फैसले से चंद्रशेखरन की पत्नी व उनकी पार्टी संतुष्ट नहीं है। उन्हें लगता है कि अपराध में शामिल बड़े लोग अभी भी बचे हुए हैं, जबकि छोटी मछलियों को ही अबतक कानून के शिकंजे में लाया जा सका है।

असली गुनहगारों को गिरफ्तार करने व सजा दिलाने के लिए सीबीआई जांच की मांग तेज हो रही है। इस जांच की मांग करते हुए चंद्रशेखरन की पत्नी ने अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा की थी। वे अनशन पर बैठी भी थीं। उनके अनशन को भारी समर्थन हासिल हुआ था। पर राज्य सरकार उस हत्या की सीबीआई जांच की मांग करने को तैयार नहीं दिखाई पड़ रही थी। यह आश्चर्य की बात है, क्योंकि एक समय कांग्रेस के ही लोग इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे।

राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच की मांग नहीं कराने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इस मामले में अदालत का फैसला भी आ चुका है और अपराधियों को सजा भी दी जा चुकी है, इसलिए अब किसी तरह की जांच की कोई जरूरत नहीं। पर यह एक कमजोर तर्क है। ऐसे उदाहरण है कि नीचली अदालत के फैसले के बाद भी उस मामले की सीबीआई जांच की गई है। एक मामले मे तो खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की परिस्थिति में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

अनशन को बढ़ते जनसमर्थन से प्रदेश की चांडी सरकार घबरा गई थी। और उसने उसे तुड़वाने के लिए यह वचन दिया कि सैद्धांतिक रूप से उनकी सरकार सीबीआई जांच करवाने को तैयार है। उनके उस आश्वासन के बाद चंद्रशेखरन की पत्नी ने अनशन समाप्त कर दिया।

यह सच है कि सीबीआई जांच के अभी तक आदेश नहीं दिए गए हैं और उसके पहले ही अनशन समाप्त हो चुका है। पर राज्य सरकार को सैद्धांतिक रूप से इसके लिए सहमत करवाना भी अनशन की एक बड़ी सफलता है।

सवाल उठता है कि प्रदेश सरकार सीबीआई जांच से पीछे क्यों हट रही है? सीपीएम प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस नेताओं को उसकी फजीहत में खुशी होती है। सीबीआई जांच से सीपीएम की फजीहत होने की ही संभावना है। तब तो कांग्रेस को खुशी खुशी सीबीआई जांच की इजाजत देनी चाहि थी। पर वह ऐसा करने से कतरा क्यों रही है?

इसी सवाल के जवाब में यह चर्चा जोरों पर है कि सीपीएम के साथ प्रदेश की चांडी सरकार की मिलीभगत हो गई है। चर्चा यह है कि दोनों के बीच हुए सौदेबाजी के तहत राज्य सरकार चंद्रशेखरन मामले की सीबीआई जांच नहीं कराएगी और बदले में सीपीएम सोलर पैनल घोटाले के खिलाफ चल रहा आंदोलन वापस ले लेगी। सोलर पैनल घोटाले में खुद मुख्यमंत्री ओमन चांडी पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके खिलाफ आंदोलन ठंढा पड़ चुका है और कहा जा रहा है कि यह सौदेबाजी के तहत ही हुआ है।

जाहिर है प्रदेश की राजनीति में भारी गिरावट होने की चर्चा है। ऐसा कभी नहीं हुआ। इस बीच चंद्रशेखरन की हत्या के खिलाफ प्रदेश भर में आंदोलन किए जाने की तैयारी चल रही है। (संवाद)