उस समय से ही रामविलास पासवान अपने आपको मुस्लिम अधिकारों की रक्षा में बोलने वाले एक बहुत बड़े चैंपियन की भूमिका में रख रहे थे। जब कभी भी मौका मिलता था, तो वे नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आग उगलने में कोई कंजूसी नहीं करते थे। वे नरेन्द्र मोदी को हत्यारा कहते थे। उनकी सरकार की बर्खास्तगी की मांग करते थे और उन्हें गिरफ्तार करने की गुहार भी लगाया करते थे।
पर समय ने पलटी मार ली है। अब उसी नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए रामविलास पासवान ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिए हैं। उनके बेटे तो अब नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगों को लेकर निर्दोष भी बता रहे हैं। वे अदालत का हवाला देने हुए कह रहे हैं कि जब अदालतों ने नरेन्द्र मोदी को निर्दोष करार दिया, तो दोषी बताने वाले वे कौन होते हैं।
2005 के फरवरी चुनाव में बिहार विधानसभा त्रिशंकु हो गई थी। उस समय 29 विधायकों के साथ रामविलास पासवान के पास वहां की सरकार बनाने की कुंजी थी। उस समय वे चाहते तो राजग की सरकार फरवरी महीने में ही वहां बन सकती थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी और गुजरात दंगे का हवाला देते हुए उन्होंने राजग को सहयोग देने से साफ इनकार कर दिया था। लालू के राजद सरकार बनाने से भी उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वे राबड़ी की जगह किसी मुस्लिम को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। यानी पासवान उस समय भी मुस्लिम मसीहा बन रहे थे और लालू को कह रहे थे कि यदि उनके 29 विधायकों का समर्थन उन्हें चाहिए तो वे राबड़ी की जगह अपने दल के विधायक दल का नेता किसी मुसलमान को बनाएं।
उस समय उन्होंने न तो लालू का साथ दिया और न ही राजग का, पर बाद में वे लालू के साथ भी गए और अब तो उस नरेन्द्र मोदी के खेमे मंे आ गए हैं, जिनकी बर्खास्तगी की मांग करते हुए वे वाजपेयी सरकार से बाहर हो गए थे और जिनके खिलाफ वे लगातार 12 सालों तक मुहिम चलाते रहे।
रामविलास पासवान ने भाजपा से हाथ मिलाने की घोषणा करने के पहले प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की। समझौते के अनुसार उनकी पार्टी बिहार की 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लालू यादव उनकी पार्टी को 5 सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं थे। भाजपा ने 7 सीटें दी। जाहिर है, वे फायदे में हैं। भाजपा के साथ जाने के कारण उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत की संभावना भी बढ़ गई है, क्योंकि बिहार के मतदाताओं मे नरेन्द्र मोदी को लेकर अच्छा उत्साह है।
भारतीय जनता पार्टी को रामविलास पासवान के साथ का फायदा हो रहा है। इस गठबंधन के कारण दो फीसदी पासवान मतों का लाभ भाजपा को हो सकता है। लेकिन इससे भी बड़ा राजनैतिक फायदा राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला है। रामविलास के मोदी खेमे में आने के कारण मोदी पर गुजरात दंगों का आरोप लगाने की आवाज धीमी पड़ गई है और उन पर लगाए गए ये आरोप खोखले साबित हो रहे हैं। इसके कारण नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय स्वीकार्यता भी बढ़ गई है। यह मोदी और भाजपा को हुआ सबसे बड़ा फायदा है। (संवाद)
मोदी खेमे में पासवान: कांग्रेस की योजना को झटका
हरिहर स्वरूप - 2014-03-03 12:10
कुछ साल पहले लालू यादव ने रामविलास पासवान को अभागा कहा था, लेकि अब पासवान नरेन्द्र मोदी के खेमें में शामिल होकर अपने आपको भाग्यवान बना रहे हैं। वे 12 सालों में बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुए हैं। 2002 में उन्होंने वाजपेयी सरकार से इस्तीफा दे दिया था और अपनी पार्टी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर भी कर लिया था। इसका कारण था गुजरात मे गोधरा के ट्रेन जलने के बाद हुए सांप्रदायिक दंगा। उन दंगों के लिए रामविलास पासवान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिम्मेदार बता रहे थे और केन्द्र सरका द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने का विरोध कर रहे थे।