मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक खेती से जुड़ी इस त्रासदी पर चर्चा करने के लिए बुलार्इ। बैठक के दौरान किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए अनेक निर्णय लिए गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के साथ इस संकट की घड़ी में खड़ी है। किसानों को राहत पहुंचाने के लिए 2000 करोड़ रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने का फौरी तौर पर निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी 49 जिलों के 9584 गांवों में फसलें तूफान और वर्षा के कारण पूर्ण रूप से या आंशिक तौर से बर्बाद हो गर्इ। उन्होंने केेन्द्र सरकार से मांग की कि इसे राष्ट्रीय त्रासदी घाषित की जाय और वह नुकसान की थाह लेने के लिए केन्द्र से विशेषज्ञों की टीम भेजे। उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात की और केन्द्र से 5000 करोड़े रुपये के सहायता पैकेज की मांग की।
उन्होंने घोषणा कि किसानों की सहायता करने के लिए वे केन्द्र सरकार की मदद मिलने तक इंतजार नहीं कर सकते और उनकी सरकार अपने स्तर पर किसानों को हुए नुकसान का आकलन करेगी। आकलन के बाद उन्हें फसलों के नुकसान की भरपार्इ करने के कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार के खजाने से रकम जुटार्इ जाएगी।
उन्होंने कहा कि भरपार्इ का भुगतान करते समय 50 फीसदी से ज्यादा हुए नुकसान को 100 फीसदी नुकसान माना जाएगा। 25 से 50 फीसदी तक के नुकसान की भरपार्इ के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि 15 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को हुए नुकसान की भरपार्इ की जाएगी।
किसानों के कर्ज की वसूली को पहले ही रोक दी गर्इ है। उनके कर्ज पर लगने वाले ब्याज का भुगतान अब सरकार ही करेगी। उन्होंने कहा प्रभावित किसानों को एक रुपये प्रति किलो की दर से अगले 8 महीने तक चावल और गेहूं उपलब्ध कराए जाएंगे। उनकी लड़कियों की शादी के लिए 25 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिशिचत करने का आदेश दिया कि पारंपरिक महाजन किसानों से जोर जबर्दस्ती करके कर्ज की वसूली नहीं करने पाएं और वे यदि वैसा करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवार्इ की जाय।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने सभी मंत्रियों को आदेश दिया है कि वे अपने जिलों मेंचल रहे राहत कार्यो की खुद निगरानी करें। राहत कार्यों की केन्द्रीय निगरानी के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त, वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव और मुख्य राजस्व सचिव की एक समिति का गठन भी कर दिया गया है।
फसलों की तबाही इतने बड़े पैमाने पर हुर्इ हैं कि हजारों किसान डिप्रेसन के शिकार हो गए हैं। किसानों द्वारा आत्महत्या करने और आत्महत्या की कोशिश करने की खबरें भी भोपाल पहुंचने लगी हैं। महसूस किया जा रहा है कि किसानों में व्याप्त हताशा को समाप्त करने के लिए मनोवैज्ञानिकों की सहायता भी ली जानी चाहिए। हालत इतनी खराब है कि एक कैबिनेट मंत्री उसका बयान करते समय मुख्यमंत्री के सामने ही रो पड़े। (संवाद)
मध्यप्रदेश में कृषि आपातकाल
फसलों की भारी अभूतपूर्व बर्बादी
एल एस हरदेनिया - 2014-03-08 15:27
भोपाल: मध्यप्रदेश इस समय अपने इतिहास के सबसे बडे़ संकट का सामना कर रहा है। सरकारी अनुमान के अनुसार गेहूं, चना और मसूर की खड़ी फसलें 10 हजार से भी ज्यादा गांवों में तबाह हो गर्इ है। यह तबाही पिछले फरवरी महीने की बरसात और तूफान के कारण हुर्इ है। इसके कारण प्रदेश के लाखों किसान बर्बादी का सामना कर रहे हैं। सरकारी आकलन है कि प्रदेश में इसके कारण रबी फसलों के उत्पादन में 50 से 80 फीसदी की गिरावट तक हो सकती है।