विपक्षी लेफट डेमाक्रेटिक फ्रंट का एक प्रमुख घटक इससे बाहर हो गया है। यह घटक है रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)। उसका फ्रंट की सबसे बड़ी पार्टी सीपीएम से सीटों के तालमेल को लेकर मतभेद हो गया और उसने वाम लोकतांत्रिक गठबंधन से अपना रिश्ता ही तोड़ दिया। अब आरएसपी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है।
कांग्रेस से हुए उसके समझौते के अनुसार यदि केन्द्र में यूपीए की सरकार बन रही हो, तो आरएसपी उस सरकार के गठन में सहयोग करेगा। यही नहीं वह केरल की चांडी सरकार के पक्ष में भी मतदान करेगा। यानी अब आरएसपी सत्तारूढ़ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का हिस्सा बन गया है।
एलडीएफ को इसके 32 साल पुराने घटक ने झटका दिया है, तो यूडीएफ को भी केरल कांग्रेस (मणि) की ओर से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मणि गुट ने धमकी दे डाली है कि यदि कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों को नहीं माना गया, तो वह फ्रंट को छोड़ देगा।
आरएसपी ने यह शिकायत करते हुए एलडीएफ को छोड़ा है कि सीपीएम उसे अपमानित कर रही थी और उसके साथ दोयम दर्जे के सहयोगी जैसा बर्ताव किया जा रहा था। आरएसपी कोलम सीट की मांग कर रही थी। वह कह रही थी कि उस सीट के साथ उसका भावनात्मक लगाव है, लेकिन सीपीएम ने वह सीट आरएसपी को देने से साफ मना कर दिया।
आरएसीपी की नाराजगी का एक बड़ा कारण कोलम सीट पर सीपीएम द्वारा उसकी उम्मीदवारी को नकारना ही नहीं है, बलिक जिस तरीके से उसका वह दावा नकारा गया, वह भी उसे नागवार गुजरा। पहले सीपीएम ने तो उसकी मांग पर विचार करने की बात कही और फिर एकाएक उससे बातचीत किए या पूर्व सूचना दिए बिना ही उसने वहां से अपने उम्मीदवार एम ए बेबी का नाम घोषित कर डाला। यदि फ्रंट की बैठक बुलाकर उसमें कोलम सीट पर अपना दावा बताकर सीपीएम उसकी घोषणा करती तो फिर भी आरएसपी को शांत किया जा सकता था, लेकिन इस तरह की बैठक बुलाने की जरूरत भी सीपीएम ने महसूस नहीं की और इसके कारण आरएसपी आगबबूला हो गर्इ और उसने सीपीएम को छोड़कर कांग्रेस से हाथ मिलाने का फैसला कर लिया।
अब कांग्रेस ने भी आरएसपी को यूडीएफ में शामिल करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है और इसके बाद वह यूडीएफ का हिस्सा बन गर्इ है। अब संकेत इस बात के मिल रहे हैं कि आरएसपी के नेता एन के प्रेमचंद्रन यूडीएफ के समर्थन से कोलम सीट के उम्मीदवार होंगे। वहां उनका सामना सीपीएम के एम ए बेबी के साथ होगा।
आरएसपी के गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन की अपने फैसले पर फिर से विचार करने की मांग को भी उसने ठुकरा दिया। इसमें कोर्इ शक नहीं कि सीपीएम के प्रदेश नेतृत्व का रवैया आरएसपी के एलडीएफ से बाहर होने का कारण है।
आरएसपी के एलडीएफ से बाहर जाने से सीपीआर्इ और सीपीएम का एक धड़ा दुखी और नाराज है। एलडीएफ की बैठक में सीपीआर्इ ने अपने दुख का इजहार भी किया। सीपीआर्इ जनरल सेक्रेटरी सुधाकर रेडडी ने सीपीएम महासचिव प्रकाश कारत को पत्र लिखकर मांग की है कि आरएसपी को फिर से एलडीएम में लाने का प्रयास किया जाय।
इसमें कोर्इ शक नहीं कि आरएसपी के एलडीएफ से बाहर जाने के कारण कोलम क्षेत्र में एलडीएफ को नुकसान होगा, क्योंकि वहां उसका प्रभाव है। अतीत में भी आरएसपी की नाराजगी के कारण कोलम और चवारा विधानसभा क्षेत्रों में एलडीएफ को नुकसान हो चुका है।
दूसरी तरफ केरल कांग्रेस (मणि) ने यूडीएफ में कांग्रेस की नींद हराम कर रखी है। मणि गुट इदुकी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की जिद कर रहा है, जबकि इस समय वहां का सांसद कांग्रेस का है। मणि गुट का कहना है कि उसके उम्मीदवार की जीत की संभावना बेहतर है, क्योंकि कांग्रेस का निवर्तमान सांसद अपने क्षेत्र में काफी अलोकप्रिय है और वह चुनाव नहीं जीत सकता। उनकी लोकप्रियता का कारण कस्तूरीरंजन कमिटी की रिपोर्ट है।
इदुकी से भी कांग्रेस का ही सांसद इस समय है। मणि गुट का कहना है कि जब कांग्रेस अपनी सीट होने के बावजूद कोलम अपने नये सहयोगी आरएसपी को दे सकती है, तो इदुकी सीट वह अपने अन्य सहयोगी को क्यो नहीं दे सकती। जाहिर है कांग्रेस के सामने भी संकट खड़ा हो रहा है। (संवाद)
आरएसपी ने दिया सीपीएम को झटका
केरल कांग्रेस (मणि) दे रही है कांग्रेस को बेचैनी
पी श्रीकुमारन - 2014-03-13 02:42
तिरुअनंतपुरम: निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही केरल का राजनैतिक माहौल गर्म हो गया है। सत्तारूढ़ और विपक्षी मोर्चों के घटकों के बीच तनातनी शुरू हो गर्इ है और उसका नतीजा भी सामने आने लगा है।