भाजपा के नेता और कार्यकत्र्ता पार्टी के आलाकमान से नाराज हैं और उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि उन्होंने क्षेत्र से बाहर के लोगों को पार्टी के टिकट दे दिए हैं। अनेक मामले में तो टिकट पार्टी से भी बाहर के आदमी को दे दिए गए हैं।
पार्टी के लिए इससे ज्यादा चिंता की बात क्या हो सकती है कि सूर्य प्रताप शाही जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता देवरिया में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का पुतला जला रहे थे। यह पार्टी के उस फैसले के खिलाफ किया जा रहा था, जिसके तहत लखनऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक कलराज मिश्र को देवरिया से टिकट दे दिया गया था।
शाही के समर्थक इस बात से नाराज हैं कि वे अपने नेता के लिए चुनाव प्रचार की शुरुआत कर चुके थे। वे मान रहे थे कि देवरिया से श्री शाही की उम्मीदवारी का एलान महज औपचारिकता है। लेकिन जब उम्मीदवारों की सूची सामने आई, तो देवरिया सीट का टिकट कलराम मिश्र के नाम था। पहले तो अमित शाह तक ने वहां के लोगों को कह डाला था कि उम्मीदवार सूर्य प्रताप शाही ही होंगे।
असंतोष सिर्फ देवरिया तक ही सीमित नहीं है। जौनपुर, मेरठ, उन्नाव और फिरोजाबाद में भी इस तरह की बगावत हो रही है और पार्टी नेताओं से मांग की जा रही है कि वे उम्मीदवारों को बदलें। अनेक जगहों के पार्टी कार्यकत्र्ता दिल्ली तक जा रहे हैं और वहां वे उम्मीदवार बदलने की मांग कर रहे हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भी लखनऊ में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस सीट से इस समय लालजी टंडन सांसद हैं। उन्होंने घोषणा की थी वे इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे और सिर्फ नरेन्द्र मोदी के लिए ही इसे वे छोड़ेगे। पर उन्हें राजनाथ सिंह के लिए यह सीट छोड़ना पड़ा है। इसके कारण उनके समर्थकों मे भारी नाराजगी है और वे राजनाथ सिंह का विरोध कर रहे हैं।
लालजी टंडन खुद अब राजनाथ सिंह के समर्थन करने की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें जिताने की वह हर संभव कोशिश करेंगे, लेकिन राजनैतिक पर्यवेक्षकों को पता है कि 2009 की जीत के बाद उनके द्वारा खाली की गई विधानसभा सीट पर जब उनके बेटे को टिकट नहीं दिया गया, तो उन्होंने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार अमित पुरी को पराजित करवा दिया। उसके कारण वहां से कांग्रेस उम्मीदवार श्याम किशोर शुक्ला की जीत हो गई थी।
राजनैतिक पंडितों का मानना है कि लालजी टंडन के समर्थक इस चुनाव में भी वही रणनीति अपना सकते हैं और तक राजनाथ के लिए यहां से जीत पाना मुश्किल हो जाएगा। कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी यहां से अपनी स्थिति सुधारने में लगी हुई है और वह राजनाथ सिंह के लिए खतरा बन चुकी हैं। यहां की सशक्त ब्राह्मण लॉबी अब रीता बहुगुणा के साथ दिखाई पड़ रही है। मुस्लिम भी उनके पीछे लामबंद हो रहे हैं।
प्रदेश के अधिकांश इलाको में विद्रोह की स्थिति बनी हुई है, फिर भी पार्टी के नेता मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी की लहर पार्टी के काम आएगी और अधिकतर सीटों पर भाजपा की ही जीत होगी। लेकिन जिस तरह से टिकटो का बंटवारा हुआ है, उससे साफ लगता है कि भाजपा के लिए यह चुनाव उत्तर प्रदेश में आसान नहीं होने जा रहा है। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने बाहरी लोगों को टिकट दिए
टिकट वितरण पर पार्टी में असंतोष
प्रदीप कपूर - 2014-03-20 14:43
लखनऊः टिकट वितरण के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती अनेक जिलों में पनपे विद्रोह को शांत करने की है। यह विद्रोह टिकट पाने वाले उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होते के साथ शुरू हो गया था।