इस सीट पर सपा का उम्मीदवार कौन होगा, इसे तय करने का जिम्मा मुलायम सिंह यादव ने आजम खान के ऊपर ही छोड़ दिया था। आजम खान ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य नशीद अहमद खान को यहां से सपा का उम्मीदवार बनाया है।
रामपुर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या आधी से भी ज्यादा है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर अन्य सभी दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार ही मैदान में उतारे हैं।
नौशाद अहमद खान के अलावा कांग्रेस के स्थानीय विधायक नवाब अली खान भी मैदान में हैं। वे यहां के नवाब खानदान से ताल्लुकात रखते हैं। भाजपा ने अपना टिकट नेपाल सिंह को दिया है। नेपाल उत्तर प्रदेश विधान परिषद मंे भारतीय जनता पार्टी के नेता भी हैं। बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार हाजी अकबर हुसैन को बनाया है, जबकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सलमान अली खान हैं
यहां की वर्तमान सांसद जयप्रदा हैं। वे इस बार इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ रही हैं। वे राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर इस बार बिजनौर से उम्मीदवार हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा उन्हे ंउम्मीदवार बनाए जाने का आजम खान ने विरोध किया था। उनकी उम्मीदवारी के विरोध में ही उन्होंने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया था। आजम और मुस्लिम विरोध के बावजूद जयप्रदा यहां से चुनाव जीत गई थीं। उनकी जीत को कल्याण सिंह ने संभव बनाया था। उस चुनाव में कल्याण सिंह ने मुलायम से दोस्ती कर ली थी। उन्होंने हिंदू मतदाताओं को जयप्रदा के पक्ष में मतदान करने के लिए गोलबंद कर लिया था। हिंदू मतों की गोलबंदी के कारण ही जयप्रदा मुस्लिम और आजम खान के विरोध के बावजूद चुनाव जीतने में सफल हो गई थीं।
जाहिर है आजम खान के लिए सपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करना प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। वे उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम चेहरा हैं और इसका इस्तेमाल वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जीताने में कर रहे हैं। वे मतदाताओं से अखिलेश सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। वे खासकर के यह बता रहे हैं कि अखिलेश सरकार ने मुसलमानों के लिए क्या क्या किया।
लेकिन विरोधी मुजफ्फर नगर दंगे के मामले को उछाल रहे हैं। वे लोगों को बता रहे हैं कि राज्य सरकार ने दंगों के दौरान और उसके बाद सही भूमिका नहीं निभाई। वे शरणार्थी शिविरों की समस्या को हल करने में राज्य सरकार द्वारा दिखाई गई बेरुखी का खास हवाला दे रहे हैं।
जिस मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ उसके जिला प्रभारी मंत्री खुद मोहम्मद आजम खान ही थे। इसलिए विरोधी आजम को ही सीधे कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। दंगों के दौरान और उसके बाद आजम मुजफ्फरनगर नहीं गए। इस तथ्य को खास तरीके से उछाला जा रहा है। समाजवादी पार्टी के नेताओं के पास इस सवाल का कोई जवाब देते नहीं बन रहा है।
विरोधी उम्मीदवार अखिलेश सरकार के गठन के बाद प्रदेश में हुए 100 से ज्यादा दंगों का जिक्र भी कर रहे हैं। उन दंगों में मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी खासा नुकसान हुआ था। अनेक लोग मारे गए थे और हजारों लोग बेघर भी हुए थे। उनके माल की भी काफी क्षति हुई थी। उनका कहना है कि मुस्लिम समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी की सरकार प्रदेश में कानून सुरक्षा की व्यवस्था बनाए रखने में भी नाकाम साबित हो रही है।
बेगम नूर बानों द्वारा बनाए गए अनेक मकानों को भी आजम खान ने ढहा दिया है। गौरतलब है कि बेगम नूर बानों भी नवाब खानदान से ताल्लुकात रखती हैं। उन्होंने 1996 और 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में यहां से जीत हासिल की थी और संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हीें के बेटे इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उनके पति भी इस क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लिहाजा, कांग्रेस उम्मीदवार अपने परिवार और उसके प्रभाव का इस्तेमाल कर चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं।
मायावती ने हाजी अकबर हुसने को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। उनकी मुख्य रणनीति मुजफ्फरनगर दंगे को उछालने की है और यह बताने की है कि बसपा सरकार के कार्यकाल में कभी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए। मायावती मुलायम और मोदी के बीच गुप्त समझौता होने की बात को भी उछाल रही हैं।
आम आदमी पार्टी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारा है। उसके उम्मीदवार सलमान अली खान हैं। उनकी उपस्थिति से मुख्य उम्मीदवारों को क्ष्ति होती दिखाई पड़ रही है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पार्टी के उम्मीदवार रामपुर मंे इस तथ्य को भुनाने में लगे हुए हैं।
भाजपा ने अपना उम्मीदवार नेपाल सिंह को बनाया है और श्री सिंह ने जीत के लिए गंभीरता से काम करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि सच यह भी है कि उनकी उम्मीदवारी का भाजपा के स्थानीय लोगों ने विरोध किया था। वे चाहते थे कि मुख्तार अब्बास नकवी को यहां से उम्मीदवार बनाया जाय। गौरतलब है कि 1998 में नकवी ही भारतीय जनता पार्टी के यहां से उम्मीदवार थे और उन्होंने कांग्रेस के नूर बानो को यहां से पराजित भी किया था।
यहां का मुकाबला बहुकोणीय है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में जीत किसकी होगी। (संवाद)
रामपुर में आजम की प्रतिष्ठा दांव पर
मुस्लिम बहुमत वाल सीट पर जीत के लिए पार्टी ने कसी कमर
प्रदीप कपूर - 2014-03-24 11:39
लखनऊः रामपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने कमर कस ली है। यह मुस्लिम बहुल सीट है और समाजवादी पार्टी का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले मोहम्मद आजम खान इसी इलाके से आते हैं। यह सीट खासकर उनके लिए निजी प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।