भोपाल से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा होने के बाद एक बैठक में उन्होंने मुख्ष्यमंत्री शिवराज चैहान से पूछा कि उम्मीदवार तय करने के पहले यहां के विधायकों की राय क्यों नहीं ली गई। उस समय मुख्यमंत्री के अलावा भारतीय जनता पार्टी के अन्य अनेक नेता मौजूद थे। अन्य अनेक विधायकों ने श्री गौर का समर्थन किया। गौरतलब है कि वह बैठक भोपाल से भाजपा उम्मीदवार को विजयी बनाने के लिए रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई थी।
खबर के अनुसा जैसे ही वह बैठक शुरू हुई, बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री से पूछा कि स्थानीय विधायकों को उम्मीदवार तय करते समय विश्वास में क्यों नहीं लिया गया। एक अन्य विधायक रामेश्वर शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार द्वारा बिना उन्हें जानकारी दिए उनके क्षेत्र का दौरा करने पर भी सवाल खड़ा किया। एक अन्य विधायक विश्वास सारंग ने संजार को समर्थन करने में अपनी लाचारी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि वे संजार के चुनाव प्रचार के लिए गाडि़यों का इंतजाम नहीं कर पाएंगे। विरोध करने वाले विधायकों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्णय लिया जा चुका है और इसलिए अब उसका विरोध करने से किसी प्रकार के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होने वाली है।
भोपाल से भाजपा की उम्मीदवारी का मामला लटका हुआ था। वहां के निवर्तमान सांसद कैलाश जोशी हैं। अधिक उम्र के होने के कारण श्री जोशी ने इस बार चुनाव लड़ने से मना कर दिया। एक अन्य उम्रदराज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, पर पार्टी उन्हें गांधीनगर से ही चुनाव लड़ने के लिए कह रही थी। उनकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए भोपाल पर किसी उम्मीदवार को तय नहीं किया जा रहा था। पर एक बार जब आडवाणी ने तय कर लिया कि वे गांधीनगर से ही चुनाव लड़ेगे, तो फिर उसके बाद संजार को भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने प्रत्याशी बना दिया।
भोपाल लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी पिछले 7 बार से लगातार चुनाव जीत रही है। यह देश भर में भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित सीट मानी जाती है। इसलिए यहां से चुनाव लड़ने के लिए अन्य अनेक भाजपा नेता लालायित थे। पर मुख्यमंत्री ने एक हल्के उम्मीदवार को यहां से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया।
भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं नहीं, बल्कि कांग्रेस के भोपाल उम्मीदवार को भी अपनी पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पी सी शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। वे एक भूतपूर्व विधायक हैं। उनकी उम्मीदवारी का विरोध आरिफ अकील कर रहे हैं। आरिफ भोपाल के विधानसभा क्षेत्र से ही एक विधायक हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा में वे एकमात्र मुस्लिम विधायक हैं।
भोपाल में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। आरिफ का मानना है कि यहां से कांग्रेस को एक मुस्लिम उम्मीदवार ही खड़ा करना चाहिए था। वे खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे। पी सी शर्मा और आरिफ अकील दोनों ही दिग्विजय सिंह के समर्थक हैं। दिग्विजय सिंह ने कोशिश की कि पी सी शर्मा का चुनाव में समर्थन करें, पर वे आरिफ अकील को अब तक मना नहीं पाए हैं। (संवाद)
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भोपाल के उम्मीदवार पर भाजपा में विद्रोह
कांग्रेस में भी टिकट वितरण को लेकर असंतोष
एल एस हरदेनिया - 2014-04-01 11:33
भोपालः मध्यप्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी को उस तरह के विरोध का सामना कभी नहीं करना पड़ा, जिस तरह के विरोध का सामना उसे भोपाल लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार तय करने के बाद करना पड़ रहा है। भाजपा नेतृत्व ने इस सीट से आलोक संजार को अपना उम्मीदवार बनाया है। जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई, तो उसका सबसे तेज विरोध बाबूलाल गौर ने किया। श्री गौर चैहान मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। वे एक बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वे भोपाल लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले एक विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं। उन्होंने वहां से 1974 में पहली बार विधानसभा का एक उपचुनाव जीता था। उसके बाद वे वहां से लगातार विधायक हैं और कभी भी कोई चुनाव नहीं हारे हैं।