मतदान के दौरान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण फैक्टर मतदाताओं के लिए यह सांप्रदायिकता ही थी। इसके सामने अन्य सारे फैक्टर गौण थे।
गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ महीने पहले भयानक दंगे हुए थे। इसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी और यह जिला ही इस दंगे का केन्द्र भी था। उन दंगों में 70 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। हजारों लोगो नें शरणार्थी शिविरों में शरण ले रखी थी। लाखों लोग बेघर हो गए थे।
मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, मेरठ, कैराना व अन्य संसदीय क्षेत्रों में सांप्रदायिक उन्माद अपने पूरे सबाब पर था। नेताओं ने भड़काने वाले भाषण किए और जिन पार्टियों के नेताओं ने इस तरह के उन्माद पैदा किए, अब वे चुनावी बढ़त बनाने की उम्मीद रखते हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के सिपहसालार अमित मोदी ने अत्यंत भड़काऊ भाषण दिए। दंगों में नामित अन्य भाजपा नेताओं ने भी अपने आपको पूरी तरह प्रचार में झोंक दिया था।
सहारनपुर के कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने भी उन्मादी भाषण देने में अपने आपको पीछे नहीं रखा। शायद इसी का नतीजा था कि सहारनपुर में 74 फीसदी तक मतदान हुआ। आजादी के बाद अबतक इतना ज्यादा मतदान वहां हुआ ही नहीं था। अपने भाषण के कारण श्री मसूद को जेल भी जाना पड़ा। गौरतलब है कि मुसलमानों का धार्मिक केन्द्र देवबंद सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ता है।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इस उन्माद का लाभ उठाने की उम्मीद कर रही है। पहले तो वह बहुत रक्षात्मक थी, क्योंकि दंगों को रोक नहीं पाने का इलजाम उसी पर लग रहा था, पर बाद में धीरे धीरे वह आक्रामक होती चली गई। आजम खान जैसे उसके नेताओं ने सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाले भाषण किए। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग समाजवादी पार्टी की ओर वापस लौट चुके हैं। लेकिन वे उतने वापस नहीं हुए हैं, जितने विधानसभा चुनाव के समय थे।
अजित सिंह पर इस भारी मतदान का क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। जाट हमेशा उनका साथ देते रहे हैं। सांप्रदायिक उन्माद की घड़ी में भी क्या जाटों ने उनका साथ दिया अथवा वे भावना में बहकर भाजपा की ओ चले गए, इसका पता नतीजा आने के बाद ही लगेगा।
राजनैतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय ने भारी मतदान किया। यदि उनके मतों का विभाजन नहीं हुआ, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे चैंकाने वाले हो सकते हैं।
दलित मतदाताओं के बीच विभाजन हो गया है। यह सच है कि ज्यादातर दलितों ने मायावती के उम्मीदवारों को ही वोट डाले, पर उनका एक वर्ग भाजपा के साथ भी दिखा। भाजपा के जाट प्रत्याशी दलितों का साथ लेते दिखे।
भारी मतदान से उत्साहित होकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सभी सीटों पर शानदार सफलता हासिल करेगी। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चैहान ने अपनी पार्टी की जीत का दावा किया, तो कांग्रेस के प्रवक्ता सत्यदेव त्रिपाठी ने दावा किया कि उनकी पार्टी मतदान हुए उत्तर प्रदेश के 10 लोकसभा क्षेत्रों में 2 पर विजय हासिल करेगी। उन्हानें यह भी कहा कि लोकदल बागपत और बिजनौर की सीटों पर जीतेगा। (संवाद)
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
सपा और भाजपा सफलता के प्रति आशान्वित
प्रदीप कपूर - 2014-04-13 10:52
लखनऊः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रहे सांप्रदायिक घ्रुवीकरण और उसके कारण हुआ रिकार्ड मतदान भाजपा और सपा नेताओं के नेताओं को नया विश्वास दे रहा है।