श्री गिल ने शीघ्र जारी होने वाली एक पुस्तक 'नरेन्द्र मोदीः 21वीं सदी का नायक' की भूमिका में ऐसा लिखा है। दंगों में बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा है कि पहली बात तो यह कि गुजरात जैसे शांतिप्रिय राज्य में गोधरा कांड की इतनी बड़ी प्रतिक्रिया होने की आशंका किसी को भी नहीं थी, और इसी कारण राज्य की पुलिस ने इतनी बड़ी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने की पूर्व तैयारी भी नहीं की थी।
उन्होंने अपनी भूमिका में लिखा कि 'नरेन्द्र मोदी ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दंगे की रोकथाम और दंगा पीड़ितों की सुरक्षा के लिए कड़े निर्देश दिये थे। अगर उन्हें मुस्लिम समाज के लिए कोई दुर्भावना होती तो मुझे दंगे रोकने के लिए गुजरात बुलाने की जरूरत ही क्या थी।'
“दंगे रोकने और दंगा पीड़ितों की सुरक्षा के लिए उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी थी, मेरे किसी कदम पर उन्होंने कोई रोक नहीं लगायी थी। मैंने पुलिस को नया नजरिया दिया था, पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ कैसे कार्रवाई करनी चाहिए इसके प्रति मैंने उन्हें बताया,” श्री गिल ने लिखा।
उन्होंने आगे लिखा कि उसका सकारात्मक परिणाम आया। पुलिस फौरन तेज और दुरुस्त हो गयी। ग्रमीण इलाकों में पुलिस होती कहां है! मैंने ग्रामीण इलाकों में पुलिस की तैनाती करायी।
“सबसे बड़ी चुनौती दंगा पीड़ितों के शिविरों की सुरक्षा की थी। हमने यह सुनिश्चित किया कि दंगा पीड़ित शिविरों में कोई आपराधिक घटना नहीं घटे, दंगा पीड़ितों को पूर्ण सुरक्षा मिले," उन्होंने लिखा है।
उन्होंने यह भी लिखा है कि गुजरात सरकार की ओर से राहत शिविरों में खाने-पीने की सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं, डाक्टरों के साथ ही साथ मुफ्त दवाइयां भी उपलब्ध थीं। मैं इस प्रपंच को खारिज करता हूं कि नरेन्द्र मोदी ने राहत शिविरों को भगवान भरोसे छोड़ा था या फिर दंगाइयों को दंगा करने का अवसर दिया था।
“दंगा पीड़ित राहत शिविरों में नरेन्द्र मोदी नियमित दौरा करते थे। नरेन्द्र मोदी ने लाल कृष्ण अडवाणी के साथ कई राहत शिविरों का भी दौरा किया था, जिसका विजुअल प्रमाण भी है,” श्री गिल ने लिखा है।
इस पुस्तक के लेखक हैं हिन्दी के जाने-माने पत्रकार एवं स्तम्भ लेखक विष्णुगुप्त। लगभग तीन सौ पृष्ठों की इस पुस्तक में नरेन्द्र मोदी से जुड़े अनेक पहलुओं पर विस्तार से लिखा गया है। इस पुस्तक का विमोचन शीघ्र ही नई दिल्ली में होने वाला है।
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गुजरात दंगे में नरेन्द्र मोदी की कोई नकारात्मक भूमिका नहीं थीः के पी एस गिल
विशेष संवाददाता - 2014-04-17 03:15
नई दिल्ली। पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं गुजरात सरकार के पूर्व सुरक्षा सलाहकार के पी एस गिल ने कहा है कि सन् 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोई नकारात्मक भूमिका नहीं थी, तथा उन्होंने पहले ही दिन से दंगे रोकने के लिए कोशिश शुरु कर दी थी।