राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ0 पी.एल. गौतम ने तिरूवनंतपुरम में 97वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान जैव विविधता एवं संपोषणीय विकास विषय पर आयोजित सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। जैव विविधता लक्ष्यों को हासिल करने के जिन क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है वे हैं --जैव विविधता के अवयवों की सुरक्षा, संपोषणीय विकास को बढा़वा, जैव विविधता पर उत्पन्न खतरों का समाधान, पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण आदि। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2010 को जैव विविधता वर्ष घोषित कर रखा है।

डॉ0 गौतम ने कहा कि भारत ब्रााजील के रियो-डि-जैनेरियो में 15 जून, 1993 के अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता संघि को स्वीकार किया है। भारत में काफी जैव विविधता है और इसके 2.4 फीसदी भूमि तथा 4 प्रतिशत जल पर ही दुनिया की 7-8 फीसदी प्रजातियां हैं। अब तक तैयार दस्तावेज के अनुसार देश में 45968 तरह के पौधे तथा 91212 प्रकार के जीव-जन्तु हैं तथा उनमें से भी कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि केरल समेत 22 राज्यों ने जैव विविधता बोर्डों का गठन कर लिया है तथा प्राधिकरण ने 50 लाख रुपए का जैव विविधता कोष का गठन किया है जो हर वर्ष बढत़ा जा रहा है।

जैव विविधता संधि 29 दिसम्बर, 1993 में प्रभाव में आया तथा भारत 18 फरवरी, 1994 में इसका हिस्सा बना। फिलहाल इसके 191 सदस्य देश हैं।#