कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब दिखाई पड़ रही है। उसकी इतनी दुर्गति पहले कभी नहीं हुई थी। उसने 1999 में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। उस समय भी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी थी। उन्होंने 1998 के लोकसभा चुनाव के बाद सीताराम केसरी को बलपूर्वक हटाकर कांग्रेस पर कब्जा किया था। उस कब्जे के डेढ़ साल के बाद 1999 में भी लोकसभा का चुनाव हुआ था। उस चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा में मात्र 112 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि सीताराम केसरी के नेतृत्व में कांग्रेस को 140 सीटें 1998 में मिली थीं। जाहिर है, सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने अबतक के इतिहास का सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन किया है। और बार कांग्रेस सर्किल में चर्चा है कि पार्टी का प्रदर्शन उस साल से ज्यादा खराब होगा। अब अटकलबाजी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस को लोकसभा में 100 सीटें भी मिल पाएंगी या नहीं।
पिछली बार कांग्रेस को लोकसभा मे ं206 सीटें हासिल हुई थीं। उसमें सबसे ज्यादा योगदान आंध्रप्रदेश का था, जहां से कांग्रेस को 33 सीटें मिली थीं। उस समय उतनी सीटें राजशेखर रेड्डी के सफल नेतृत्व के कारण मिली थी। अब राजशेखर रेड्डी जिंदा नहीं हैं और आंध्र का भी बटवारा हो चुका है। शेष आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें रह गई हैं। वहां कांग्रेस को कोई सीट मिल पाएगी, इसको लेकर भी बहुत लोगों को संदेह है। तेलंगाना में 17 सीटें हैं। उनमें से कुछ सीटें जीतने की उम्मीद कांग्रेस कर सकती है, लेकिन वहां टीआरएस भी चुनाव लड़ रहा है और अलग तेलंगाना राज्य के गठन का श्रेय टीआरएस को ही मिल रहा है, कांग्रेस को नहीं। इसलिए वहां से कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी, इसके बारे में दावे से कोई कुछ नहीं कह सकता है।
आंध्र के बाद कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें उत्तर प्रदेश से मिली थी। उसे आमचुनाव में 21 सीटें और बाद के उपचुनाव मे ंएक सीट मिली थी। यानी निवर्तमान लोकसभा में कांग्रेस के पास 22 सीटें हैं। वहां पिछले चुनाव के बाद से कांग्रेस की स्थिति काफी पतली हो चुकी है। वहां 10 सीटें भी कांग्रेस को मिल जाएगी, इस पर शर्त लगाने के लिए कोई तैयार नहीं है।
उत्तर प्रदेश के बाद कांग्रेस को राजस्थान मंे सबसे ज्यादा 20 सीटें मिली थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सूफड़ा साफ हो गया है। उसे देखते हुए लगता है कि कांग्रेस को वहां एक या दो सीटो से ही संतोष करना पड़ेगा। और संभव यह भी है कि वहां से कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिले। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के पास ही वहां की ज्यादातर सीटें थीे। गुजरात में भी उसे 10 से ज्यादा सीटें प्राप्त थीं और महाराष्ट्र में भी। लेकिन इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बद से बदतर हो गई है।
केरल और कर्नाटक ही ऐसे दो राज्य हैं, जहां से कांग्रेस 10 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर सकती हैं। बिहार में राजद के साथ मिलकर कुछ सीटें वह जीत सकती हैं। पंजाब में भी उसकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब नहीं है। पर तमिलनाडु में वह सफाए की कगार पर है। हरियाणा में भी उसकी हालत नाजुक है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को मोदी लहर का फायदा मिल रहा है। सभी मत सर्वेक्षणों का मानना है कि भाजपा को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। एनडीए को 230 से 240 सीटें मिलने की बात भी की जा रही थी। बाद में तो इसकी स्थिति और भी बेहतर बताई जा रही थी। भाजपा के लोग अपनी पार्टी को ही 240 सीटें मिलने का दावा कर रहे हैं और एनडीए को 300 से भी ज्यादा सीटें मिलने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस को जो नुकसान हो रहा है, वही भाजपा का फायदा है। (संवाद)
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भाजपा को 200 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना
कांग्रेस की कीमत पर बढ़ेगी भाजपा की सीटें
अशोक बी शर्मा - 2014-05-12 11:40
12 मई को अंतिम चरण के मतदान के बाद सबकी नजरें 16 मई पर गड़ गई हैं। उस दिन चुनावी नतीजे आने वाले हैं। नतीजें क्या आएंगे, यह पहले से ही बहुत साफ दिखाई दे रहा है। अनेक मत सर्वेक्षणों के नतीजे हैं कि कांग्रेस और यूपीए की स्थिति बहुत ही खराब है। लोग बदलाव चाहते हैं। अब सिर्फ नम्बरों को लेकर ही अटकलें लगाई जा रही हैं।