प्रधानमंत्री गुजरात के के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें पता है कि पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाकर रखने में क्या फायदा होता है। प्रधानमंत्री द्वारा अपने शपथग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों को आमंत्रित करने से उनमें भी नई सरकार के प्रति विश्वास जगा है और उन्हें भी लगने लगा है कि दक्षिण एशिया के अच्छे दिन आने वाले हैं।

नरेन्द्र मोदी एक व्यवहारकुशल व्यक्ति हैं, इसका प्रमाण उस समय मिला जब वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर जाकर उनसे मिले। मोदी ने इस बात का संकेत भी दे दिया है कि पुरानी सरकार की उन नीतियों को वह जारी रखना चाहेंगे, जिनसे उनके विकास प्रयासों को नुकसान नहीं पहुंचता है।

चुनाव के पहले मोदी ने नारा दिया था कि न्यूनतम सरकार के साथ वे अधिकतम प्रशासन देंगे। अपने उसी लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने उन प्रक्रियाओं को समाप्त करना शुरू कर दिया है, जो प्रशासन को बाधित करती रही है और जिसके कारण निर्णय प्रक्रिया भी विलंबित हो जाती है। उन्होंने पहले मंत्रियों के समूहों और मंत्रियों के शक्तिमान समूहों को समाप्त किया। उन्होंने चार मंत्रिमंडलीय समितियों को भी भंग कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री सभी मंत्रालयों की निर्णय प्रक्रिया से में प्रत्यक्ष तौर पर दखल रखेंगे। इससे साफ हो गया है कि मंत्रालयों मंे काम को लटकाए रखने की प्रवृति समाप्त होगी।

भारत देश की एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्रयशक्ति के आधार पर यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले दो सालों से अर्थव्यवस्था की विकास दर 5 फीसदी के आसपास आ गई है। इस दर को बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यकता है। प्रधानमंत्री किसी भी मंत्रालय द्वारा लिए गए निर्णय को खुद का निर्णय समझे जाने की बात कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि किसी मंत्रालय के निर्णय को वह संबंधित मंत्री का निर्णय बताकर अपने आपको उसकी जिम्मेदारी से मुक्त माल लें। पिछली सरकारों में ऐसा ही होता आ रहा है। नरेन्द्र मोदी ने वरिष्ठ नौकरशाहों का विश्वास भी हासिल किया है। उन्होंने उनसे बातचीत की और यह जानने की कोशिश की सबको साथ लेकर सबका विकास करने के रास्ते में आने वाली बाधाओं से कैसे निबटा जाए।

नरेन्द्र मोदी ने तेज विकास दर पाने और सुशासन की दिशा में देश को ले जाने का जो आरंभिक प्रयास किया है, वह सराहनीय है। वे प्रशासनिक अधिकारियों को सुदृढ़ बना रहे हैं और उनपर जिम्मेदारी भी डाल रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से ही नरेन्द्र मोदी असंभव को संभव बना सकते हैं। ढंाचागत विकास वाले बड़े संगठनों में काम तेजी से होने जरूरी हैं और वहां की कार्यसंस्कृति भी बदलनी चाहिए। (संवाद)