श्री मोदी आने वाले दो सालों मे उन कठिन कदमों को उठाने की ओर इशारा कर रहे थे, जो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जरूरी है। अब वे कदम क्या क्या हो सकते हैं, इसके बारे में तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
मोदी को लोगांे ने बहुत उम्मीदों के साथ समर्थन देकर उनकी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनवाई थी। उनकी उम्मीदों पर वे कितने खरे उतरते हैं, इसकी पहली परीक्षा बजट के दौरान होगी। उसके दौरान यह भी पता चलेगा कि अर्थव्यवस्था की समस्या को दूर करने वाले किन कठोर कदमों को वे उठाने वाले हैं।
अपने पार्टी कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि उन्हें पता है कि ’’मेरी सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदमों से लोगों का जो प्यार मुझे मिल रहा था, उसमें कमी आएगी, लेकिन जब उनके देश के लोगों को यह अहसास होगा कि देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के लिए उनके ये कदम आवश्यक हैं, तो उनका प्यार फिर मुझे वापस मिल जाएगा।’’
नये प्रधानमंत्री को यह पता है कि अब समय आ गया है कि ये कठोर कदम उठाए जायं। इसका कारण यह है कि कोई सरकार अपने कार्यकाल के शुरुआती दो वर्षों में ही कठोर कदम उठाना चाहती है, क्योंकि अंतिम तीन साल में वे लोकप्रियतावादी कदम उठाकर फिर से चुनाव जीतने की फिक्र में रहती है।
नरेन्द्र मोदी ने लोगों को बताया कि सत्ता संभालने के बाद उन्होंने देश के खजाने की जो हालत देखी है, उसे देखकर वे सदमे में आ गए हैं, क्योंकि उसमें नई सरकार के लिए कुछ भी नहीं बचा हुआ है। उनका कहना था कि देश की सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली है और देश की वित्तीय हालत अबतक के इतिहास के सबसे नीचले स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह बयान नया नहीं है। इसके पहले भी सत्ता परिवर्तन के बाद जब कभी भी नई सरकार अस्तित्व में आई है, तो उसने अपनी पूर्ववर्ती सरकारों पर खाली खजाना छोड़कर जाने का आरोप लगाया है।
सवाल उठता है कि क्या मोदी अर्थव्यवस्था को कड़वी दवा पिलाने की हालत में हैं? अर्थव्यवस्था हाथ से फिसलती जा रही है, तो इसके अनेक कारण हैं। सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति हैं। चावल और सब्जियों की कीमतें बढ़ रही हैं। प्याज भी अब दुर्लभ होता जा रहा है। समस्या से निपटने के लिए योजनाएं बना दी गई हैं और वे काम भी कर रही हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि महंगाई का कारण मौसम विभाग द्वारा कमजोर मानसून की भविष्यवाणी है। इसके कारण जमाखोरों ने मुनाफे की उम्मीद में जमाखोरी करना शुरू कर दिया है, जिसके कारण बाजार में आपूर्ति कमजोर पड़ गई है। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा है कि जमाखोरों के खिलाफ कदम उठाएं और इस प्रवृति पर लगाम लगाएं। वे निर्यात पर भी रोक लगाने की बात कर रहे हैं और सरकारी गोदामों से बाजार में अनाज की आपूर्ति बढ़ाने का भी निर्णय लेने जा रहे हैं।
खाने की चीजों की कीमतें बढ़ने के अलावा इंधन महंगा होने की समस्या भी पैदा हो गई है। इराक के संकट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है। यदि संकट जल्दी हल नहीं हुआ, तो आने वाले समय में और भी कच्चा तेल महंगा हो सकता है। इसके कारण हमारे देश में डीजल और पेट्ोल और भी महंगा हो सकता है। इसके महंगा होने से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति और भी बढ़ने का खतरा पैदा हो जाता है।
खराब मानसून की भविष्यवाणी जब महंगाई को बढ़ा रही है, तो खराब मानसून महंगाई को किस कदर बढ़ाएगा, इसके बारे मंे अभी से अनुमान लगाया जा सकता है। मोदी सरकार के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि इस समय देश में अनाज का बहुत बड़ा भंडार है। इसकी सहायता से महंगाई को बढ़ने से रोका जा सकता है। (संवाद)
भारत
अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कठोर कदम
क्या ऐसा कर पाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
कल्याणी शंकर - 2014-06-20 11:56
गोवा में अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश की हालत को ठीक करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं और लोगों के बीच में उनकी जो अच्छी छवि बनी है, उसका थोड़ा नुकसान भी हो सकता है। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में वहां उपस्थित लोगों से पूछा कि उन्हें क्या इस तरह के कदम उठाने चाहिए। इसका स्वाभाविक जवाब था हां उठाने चाहिए।