श्री शर्मा शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पिछले विधानसभा चुनाव तक एक महत्वपूर्ण मंत्री थे। विधानसभा चुनाव में वे हार गए थे, इसलिए वे दुबारा मंत्रिमंडल में नहीं लिए जा सके। वैसे मंत्री पद पर रहते ही उनकी गिरफ्तारी की मांग उठ रही थी और उनके घोटाले में शामिल होने के आरोप तेजी से लग रहे थे। पर मंत्री होने के कारण घोटाले की तफ्तीश में लगा स्पेशल टास्क फोर्स उनके खिलाफ कार्रवाई करने में झिझक रहा था और उनको कुछ कानूनी संरक्षण भी मिला हुआ था।
पर सरकार से बाहर होने के बाद स्पेशल टास्क फोर्स का काम आसान हो गया था। लोगों की लग रहा था कि श्री शर्मा की गिरफ्तारी होनी चाहिए। फिर भी वे बहुत समय तक बचे रहे। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से चैहान सरकार पर उन्हें बचाने के आरोप लग रहे थे। सवाल सिर्फ शिवराज सिंह चैहान पर ही नहीं लग रहे थे, बल्कि आरएसएस पर भी आरोप लगने लगा था। कहते हैं कि संघ के एक बडे नेता के तार भी लक्ष्मीकांत शर्मा से जुड़े हुए थे।
कार्रवाई में हो रहे विलंब से संघ के कार्यकत्र्ताओं में भी बेचैनी छाने लगी। वे अपने नेताओं पर दबाव बनाने लगे कि व्यापक घोटाले की जांच परिणति तक पहुंचनी चाहिए और सभी दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। वे भी कह रहे थे कि विलंब होने से संघ की छवि खराब हो रही है। आखिरकार केन्द्र में भाजपा सरकार के गठन हो जाने के बाद राजनैतिक स्तर से स्पेशल टास्क फोर्स को हरी झंडी मिली और लक्ष्मीकांत शर्मा गिरफ्तार कर लिए गए।
व्यापक घोटाला शिक्षा के क्षेत्र में देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। इसलिए मांग यह भी उठ रही है कि इसकी सीबीआई से जांच कराई जाय। विपक्ष इस घोटाले का आरोप मुख्यमंत्री चैहान पर लगा रहा है। लक्ष्मीकांत शर्मा चैहान के सबसे विश्वासपात्र मंत्रियों मंे से एक थे। यही कारण है कि उन्हें चैहान सरकार में एक से बढ़कर एक महत्वपूर्ण मंत्रालय मिला करते थे। वे उच्च शिक्षा के मंत्री तो थे ही, जिसका संबंध व्यापम घोटाले से बना, वे खनिज मंत्री भी थे और जनसंपर्क मंत्री के रूप में भी कार्यरत थे। जनसंपर्क मंत्री के रूप में उनका मुख्य काम मुख्यमंत्री की छवि को मजबूत बनाना था। इस तरह का महत्वपूर्ण मंत्रालय श्री चैहान अपने किसी खास मंत्री को ही दे सकते थे।
मुख्यमंत्री से लक्ष्मीकांत की नजदीकी और घोटाले के बड़े पैमाने को देखते हुए अनेक लोग कह रहे हैं कि बिना चैहान के संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला हो ही नहीं सकता था। यही कारण है कि उनके इस्तीफे की भी मांग की जा रही है।
लक्ष्मीकांत शर्मा संघ से जुड़े रहे हैं। सच कहा जाय, तो संघ के कारण ही वे राजनीति में हैं। राजनीति में आने के बाद वे काफी लोकप्रिय हो गए और उन्होंने अनेक चुनावों में जीत भी हासिल की। वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के काफी नजदीकी थे। संघ के सरकार्यवाह सुरेश सोनी के भी वे काफी नजदीकी थे। पूछताछ में श्री शर्मा एसटीएफ को क्या बताते हैं- इसका प्रदेश की राजनीति पर जबर्दस्त असर पड़ सकता है। (संवाद)
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व्यापम घोटाले की आग आरएसएस के नेता तक
शर्मा की गिरफ्तारी के बाद चौहान के इस्तीफे की हो रही है मांग
एल एस हरदेनिया - 2014-06-21 09:19
भोपालः प्रसिद्ध गजल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह की एक पंक्ति है कि ’’ बात निकलेगी, तो बहुत दूर तलक जाएगी।’’ मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले पर जो लोग आज नजर लगाए हुए हैं, उनकी जुबान पर यह पंक्ति आज कल चढ़ी हुई है। लक्ष्मीकांत शर्मा की इस घोटाले में गिरफ्तारी के बाद अब और लोगों पर भी कहर टूटने की आशंका व्यक्त की जा रही है। गिरफ्तारी के पहले श्री शर्मा ने अपने विश्वस्त लोगों को कहा था कि यदि वे पकड़े गए, तो अन्य अनेक लोग भी पकड़े जाएंगे। अब वे वास्तव में पकड़ लिए गए हैं और जेल की हवा खा रहे हैं, तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि और किन किन पर शामत आने वाली है।