पाकिस्तान पर भारतीय नज़र कभी से लगी हुई है। पाकिस्तान के साथ सुलझाने वाले कई मुद॰दे है जिनमें कश्मीर मुद्रदा मुख्य है जिस पर भारत और पाकिस्तान के बीच चार बार युद्व हो चुका है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकलता है। हर बार वह यू एन ओ का सहारा लेकर अपना बचाव करता आ रहा है। पिछली एनडीए सरकार के मुखिया श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने काफी कोशिश की लेकिन उनके कारगिल युद्व से जूझना पड़ा और बस या़त्रा संधि भी खटाई में पड़ गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सार्क के देशें के मुखियाओं को शपथ समारोह में आमन्त्रित करके कुछ अच्छा सन्देश दिया था लेकिन अभी तक उसके आसार दिखाई नहीं दे रहे। जापान और चीन भारत की नई सरकार की नीतियों पर नज़र रखें हुए है। चीन ने सीक्किम के आस-पास से अपनी सेना की चल-कदमी कम कर दी और अरूणाचल प्रदेश पर भी अभी चुप-चाप है। हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे को शायद वे पुनः भारत और चीन के आकाश में गुंजाना चाहता है।

कश्मीर वासियों को चीन ने अपने यहां आने के लिए पाक द्वारा हथियाएं कश्मीर से बिना विजा़ के अपने यहां आने का निमंत्रण देकर भारतीय विदेश नीति को बहुत चोट पहुंचाई थी। लेकिन अब उस नीति को दरकिनार करके नई सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाने का आतुर है अब चीन के नेता। 1978 में जब मोरारजी की सरकार बनी थी तब अटलबिहारी वाजपेयी उसमें विदेशमंत्री थे उस समय भी एशियाई क्षेत्रों के देशों के साथ भारत ने अपने दृढ़ संबंधों पर जोर दिया था। वाजपेयी सरकार के बनते ही इसके बढ़ाया गया अब भाजपा की नई सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी भी उसका अनुसरण करने में लगे हुए है। चीन, जापान, अमरीका और अन्य देशों की या़त्रा पर जाने की तिथियां तय कर रहे है। श्रीलंका, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश कर चुके है। इंग्लैण्ड और जर्मनी तथा फ्र्रांस के नेताओं के साथ उनके संपर्को में कोई कमी नहीं आई है। भारत के साथ अपने संबंधों में सुधार के लिए वार्ता करने को तैयार है। ईरान और अन्य इस्लामिक देशों के साथ भी प्रधानमंत्री अपने संबंध सुधारने में लगे हुए है पाकिस्तान के जरिए ईरान से गैस पाईप लाईन की संधि पर भी वार्ता हो चुकी है।

अमरीका की यात्रा के दौरान भी ऐसे वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि भारत की उसमें विदेश नीति की नई सोच की झलक वहां दिखाई दे और पर्यटन तथा आर्थिक संधियों को महत्वपूर्ण स्थान मिल सके। विश्व बाजार में भारतीय समान को स्थान मिल सके इस पर भी मोदी सरकार महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारतीय जनता ने चुनावों में इतने सांसद चुनकर उनके साथ भेजे हैं ताकि वे अपने कार्यकाल में आम जनता के प्रति सजग रहे और उनकी भलाई के लिए कार्य कर सकें ताकि विश्व में उनको महत्वपूर्ण स्थान मिल सकें। (कलानेत्र परिक्रमा)