असम विधानसभा में 78 कांग्रेसी विधायक हैं। उनमें से 45 मुख्यमंत्री गोगोई के खिलाफ हैं। 14 उनके अंध समर्थक हैं, तो 18 सीमा पर बैठे हुए हैं। पिछले सोमवार को मल्लिकार्जुन खड़गे ने असम की यात्रा की थी। वे कांग्रेस विधायको ंसे मिलकर उनकी राय जानना चाहते थे। लोगों की राय लेकर वे दिल्ली वापस भी चले गए। पिछले दो सालों से शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सर्मा गोगोई को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की कोशिश करते रहे हैं। अब तक तो उनको सफलता नहीं मिल पा रही थी, लेकिन असम सहित देश भर में कांग्रेस की करारी हार के बाद उनके हौसले बुलंद हैं। पर समस्या यह है कि गोगाई के विरोधी आपस में ही एक नहीं हैं। अनेक लोग मुख्यमंत्री पद की लालसा पाल रहे हैं।

हिमंत बिस्व सर्मा एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं। वे एक समय उल्फा के सदस्य हुआ करते थे। वे उग्रवादी गतिविधियों कंे आरोप में गिरफ्तार भी किए गए थे। जब वे पुलिस हिरासत में थे तो उस समय के मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। वे कांग्रेस में शामिल हुए और उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले समाप्त कर दिए गए। कांग्रेस सरकार में आने के बाद वे एक शक्तिशाली नेता बन गए। उनके खिलाफ मुकदमों का सारा रिकार्ड बर्बाद हो गया है। अब वे मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार के रूप में उभर रहे हैं।

लेकिन दावेदार और भी हैं। और सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि गोगोई को हटाया जाता है, तो उनकी जगह पर मुख्यमंत्री कौन बनेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता के भी हटाए जाने की संभावना है। उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा, इसके बारे में भी फैसला लेना होगा। एक फार्मूला यह है कि यदि मुख्यमंत्री लोअर असम से बनता हो तो कांग्रेस अध्यक्ष अपर असम से बनाया जाना चाहिए। और यदि मुख्यमंत्री अपर असम से बनता हो, तो अध्यक्ष लोअर असम का होना चाहिए।

लोकसभा चुनाव में पराजित हुए कुछ कांग्रेसी उम्मीदवार इस बात को लेकर नाराज हैं कि असंतुष्ट कांग्रेसियों के कारण ही उनकी हार हुई। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के पास असम में कोई संगठन का आधार नहीं है और न ही इसके पास कोई राज्य स्तर का नेता है। इसलिए उसकी इतनी बड़ी जीत उसकी अपनी शक्ति के कारण नहीं, बल्कि कांग्रेस की कमजोरी के कारण हुई है और कांग्रेस को कमजोर करने में कांग्रेसियों ने ही भूमिका निभाई है। जाहिर है पूरी असम कांग्रेस में ही अफरातफरी का माहौल है और इस माहौल में मुख्यमंत्री बदलना कांग्रेस आलाकमान के लिए आसान नहीं है, लेकिन गोगोई को अपने पद पर बना रहना भी मुश्किल है। (संवाद)