इस समय यह महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में देश का तीसरा सबसे बड़ा राज है। यह पिछले साल ही सबसे बड़े बलात्कारी राज के दाग से उबरा है। अनसुलझे आपराधिक मामलों में यह भारत का पहले नंबर का प्रदेश है। सजा मिलने की दर इस राज्य में सबसे कम है। और यह रिकार्ड पिछले कई साल से इसके नाम दर्ज है। इसके ऊपर केन्द्र सरकार का 2 लाख 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। इस मामले में यह देश में पहले नंबर पर है। कोढ़ की बीमारी से ग्रस्त सबसे ज्यादा लोग भी इसी राज्य में रहते हैं।
इस समय यह औद्योगिक निवेश आकर्षित करने वाले राज्यों में देश में 18वें स्थान पर है। असम जैसे राज्य भी जहां कानून व्यवस्था पश्चिम बंगाल से भी बदतर है और इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत बेहद खराब है, इस प्रदेश से ज्यादा औद्योगिक निवेश आकर्षित करने में सफल रहा है।
2011 के विधानसभा चुनाव के पहले ममता बनर्जी परिवर्तन का नारा लगाया करती थीं। वाम विचारधारा की एक पत्रिका ने अपने एक संपादकीय में इसे ममता बनर्जी के राज क अंदर आया परिवर्तन बताया है।
सवाल उठता है कि सभी मोर्चे पर आ रही गिरावट को रोकने के लिए ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार कौन से प्रशासनिक व अन्य कदम उठाने जा रही है?
जवाब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले की तरह ही व्यवहार कर रही है। जिस तरह रेगिस्तान में तूफान आने पर शुतुर्मुग अपनी चोंच रेत में छुपा लेता है और समझता है कि तूफान थम गया, उसी तरह ममता बनर्जी ने भी अपनी आंखें बंद कर रखी हैं।
जब कभी कोई समस्या खड़ी होती है, ममता बनर्जी उस समस्या को समस्या मानने से ही इनकार कर देती है। चाहे वह समस्या घोटालों से जुड़ी हो या न्यायपालिका से या निर्वाचन आयोग से, वह उसे समस्या ही नहीं मानती। यदि वह किसी समस्या को समस्या मानने के लिए तैयार भी होती है, तो उसके लिए किसी और को जिम्मेदार ठहरा देती है। वह केन्द्र सरकार के सिर पर उसक ठीकरा फोड़ती है और यदि वैसा संभव नहीं हो रहा हो, तो वह इसके लिए मीडिया को ही जिम्मेदार ठहरा देती है। किसी तरह के विरोध को वह ताकत के बल पर कुचल देने में भी नहीं झिझक दिखातीं।
कुछ समय पहले तक वह दावा कर रही थीं कि उनकी सरकार ने काम के लाखों अवसर पैदा किए हैं। पब्लिक और निजी सेक्टर में लाखों लोगों को काम दिए गए हैं। वह अपनी चुनाव पूर्व घोषणाओं में से 90 से 95 फीसदी पूरा करने का दावा भी कर रही थीं। सच तो यह है कि यह दावा वह अपनी सरकार के 3 महीने पूरे होने के बाद से ही कर रही हैं। ऐसा दावा करने के बाद वह दिल्ली में प्रधानमंत्री बनने की कोशिशों में जुट गईं।
उसमें एक ही समस्या थी। समस्या यह थी रोजगार के वे लाखों अवसर कहां पैदा हुए इसके बारे में किसी प्रकार की जानकारी देने में मुख्यमंत्री अथवा कोई अन्य मंत्री विफल रहे। उनसे पूछा जाता था कि किस सेक्टर में कितने रोजगार अवसर पैदा हुए, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता है।
सरकार की विफलता का ही नतीजा है कि भूख से हो रही मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ महीनों मंे चाय बेल्ट में 40 लोग भूख से मरे, तो जूट बेल्ट से भी लोगों के भूख से मरने की खबरें आ रही हैं। तृणमूल के शासन में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की वारदातें भी बढ़ रही हैं। उस शासन के दौरान कम से कम 80 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। (संवाद)
भारत
ममता राज में पश्चिम बंगाल का बुरा हाल
कानून व्यवस्था बिगड़ने के कारण बंद हो रहे हैं उद्योग
आशीष बिश्वास - 2014-07-22 11:33
कोलकाताः ममता बनर्जी के 38 महीनों के शासनकाल में पश्चिम बंगाल की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है।