पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार के कारणों की जांच के लिए बनी एंटोनी कमिटी की रिपोर्ट उसी तरह की रिपोर्ट है। एंटोनी कमिटी का गठन सोनिया गांधी ने किया था। उसमें तीन अन्य सदस्य भी शामिल थे। कमिटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें खास ख्याल रखा गया है कि सोनिया गांधी अथवा उनके बेटे राहुल गांधी की प्रतिष्ठा पर उस रिपोर्ट से कोई आंच न पहुंचे, भले इसके लिए हार के मुख्य कारणों की ओर आंखे मूंद ली जाय।
वह रिपोर्ट सोनिया गांधी को दे दी गई है। उसमें क्या है, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। लगता है कि वह सिर्फ सोनिया के लिए ही तैयार की गई थी। सिर्फ उनकी ही आंखें उस रिपोर्ट को देख पाएंगी और शायद वह कभी भी सार्वजनिक न की जाय।
हालांकि इसकी कुछ महत्वपूर्ण बातों का पता लग चुका है। और सबसे ज्यादा चैंकाने वाली बात यह है कि इस रिपोर्ट में पार्टी के शर्मनाक प्रदर्शन के लिए राहुल गांधी को दोषमुक्त घोषित कर दिया गया है। आलोचक कह सकते हैं कि एंटोनी के पास विकल्प ही क्या था? वे देख रहे थे कि जिन लोगों ने मां या बेटे की आलोचना की वे सभी के सभी पार्टी से निलंबित कर दिए गए। एंटोनी केरल के हैं और उनके प्रदेश के टी एच मुस्तफा को इसलिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने पार्टी की हार के लिए राहुल गांधी की ओर उंगली उठाई थी। एंटोनी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं और वे नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस में उनके साथ भी कुछ वैसा ही बर्ताव हो। इसलिए उन्होंने युवराज को दोष नहीं दिया, क्योंकि वे महारानी को नाराज नहीं करना चाहते थे।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी की हार के लिए कौन से कारण जिम्मेदार रहे, इसके बारे में औपचारिक रूप से कांग्रेस ईमानदारी से कुछ कह नहीं पाएगी। हालांकि कांग्रेस के अन्दर और कांग्रेस के बाहर के सभी लोगों को पता है कि पार्टी की इस हालत में लिए मां और बेटे के अलावा और कोई भी जिम्मेदार नहीं है। मां और बेटे ने मिलकर ही पार्टी को आज उस मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां हार ही उसकी नियति बन गई है।
बेटे का दोष यह है कि देश की राजनीति पर उनका फोकस ही नहीं है और मां की समस्या यह है कि पिछले कुछ सालों से देश की अर्थव्यवस्था के खोले जाने के बाद जो सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुए हैं, उनकी उन्हें समझ ही नहीं है। लेकिन औपचारिक रूप से इस सच्चाई को कांग्रेस कभी स्वीकार ही नहीं करेगी और यही कारण है कि पार्टी अपनी मुख्य समस्या को हल करती हुई कभी भी दिखाई नहीं पड़ेगी।
इसका नतीजा यह होगा कि निकट भविष्य में कांग्रेस के फिर से खड़े होने की संभावना नहीं के बराबर है। इसलिए अब भविष्य में उसकी नजर भारतीय जनता पार्टी पर टिकी रहेगी और वह यह देखना चाहेगी कि भाजपा कोई भारी गलती करे और उसकी गलती के कारण वह अपनी किस्मत चमकाए। इसके अलावा इस समय कांग्रेस के पास करने को कुछ है ही नहीं। अपने कार्यकत्र्ताओं में जोश भरने के लिए उसके पास कुछ नहीं है। कांग्रेस के नेताओं के पास न तो कोई आइडिया और न ही कोई रणनीति और न ही कोई सोच, जिसके बूते वे अपनी ताकत के बल पर वापसी की उम्मीद करें।
किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि एंटोनी हार के सही कारणों पर खुल कर बात कर सकते हें, लेकिन फिर भी जिस तरह की वफादारी वह दिखा रहे हैं वह आश्चर्यजनक है। इसका कारण यह है कि अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह वे आधारहीन नहीं हैं। केरल में उनका अपना जनाधार रहा है और वे वहां के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। इसलिए 128 साल पुरानी पार्टी में वे एक मात्र ऐसे नेता बचे हैं, जिनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे कुछ तो सच बोलेंगे। लेकिन वे भी सच बोलने से इनकार कर रहे हैं। तो ऐसी हालत में कांग्रेस के निकट भविष्य में अच्छे दिन आने की संभावना नहीं के बराबर है। (संवाद)
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व्यर्थ की कसरत है एंटनी रिपोर्ट
कांग्रेस की स्थिति निकट भविष्य में सुधरने के आसार नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-08-20 11:09
यदि एक मातहत कर्मचारी को अपने बाॅस के कामकाज के आकलन का काम दे दिया जाय, तो वह रिपोर्ट लिखते समय अपने मास्टर की नहीं, बल्कि अपनी चिंता पहले करेगा। जाहिर है, वह अपनी रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं लिखेगा, जिसके कारण उसका मालिक उससे नाराज हो जाय और उसे नौकरी से ही निकाल दे। इसके कारण वह ईमानदारी से अपनी रिपोर्ट लिख ही नहीं पाएगा।