यही केरल के मुख्यमंमंत्री ओमन चांडी और उनके समर्थकों के साथ हो रहा है। बार बंद करने के मसले पर वे अड़ियल रवैया अपना रहे थे। उनका कहना था कि बारों को बंद करना अव्यवहारिक है। कांग्रेस अध्यक्ष सुधीरन 418 बारों को लाइसेंस देने से मना कर रहे थे, लेकिन चांडी और समर्थक उन्हें फिर से लाइसेंस देने पर अड़े हुए थे। मुख्यमंत्री के लाइसेंस देने की कोशिशों का विरोध करने के लिए वे सुधीरन की आलोचना तक कर रहे थे।
ल्ेकिन जब यह साफ हांे गया कि सुधीरन को झुकाया नहीं जा सकता, तो उन्होंने एकाएक पलटी मार दी। अपने पांव के नीचे से जमीन खिसकती देख उन्होंने ऐसा निर्णय ले लिया, जिसकी कोई उम्मीद ही नहीं कर रहे थे। जिस तरह से उन्होंने अपने आपको रातों रात बदल लिया, उसका इतिहास में शायद दूसरा उदाहरण नहीं मिले।
418 बंद पड़े बारों को लाइसेंस देने के लिए अड़े मुख्यमंत्री ने एकाएक फैसला कर डाला कि उन बारो ंको तो लाइसेंस नहीं ही दिया जाएगा, जो बार लाइसेंस लेकर खुले हुए हैं, उन्हें भी बंद करवा दिए जाएंगे। यही नहीं, उन्होंने केरल को एक समय सीमा में पूरी तरह शराब मुक्त कराने का भी फैसला कर लिया।
यह सुधीरन के लिए ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी लोगों के लिए चैंकाने वाली घटना थी। 312 बार पहले ही से खुले हुए थे। अब वे भी बंद होंगे। आगामी 1 अप्रैल, 2015 से सिर्फ पंच सितारा होटलों के बार ही खुलेंगे।
मुख्यमंत्री चांडी ने ऐसा निर्णय क्यों किया, इसे समझना कठिन नहीं है। दरअसल शराब के बारो ंको लाइसेंस देने के मसले पर वे लगातार लोगों मंे अलोकप्रिय हो रहे थे। लोगो ंका बहुमत लाइसेस देने के खिलाफ था, पर मुख्यमंत्र अपनी जिद पर अड़े हुए थे और दूसरी तरफ कांग्रेस के अघ्यक्ष सुधीरन लाइसेंस दिए जाने के फैसले का विरोध करने पर भी अड़े हुए थे। इसके कारण कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। आने वाले चुनावों में इसके कारण ओमन चांडी को नुकसान हो सकता था। इसलिए उन्होंने एकाएक उलटी गंगा बहाना शुरू कर दिया और केरल को शराब मुक्त करने की ही घोषणा कर डाली।
सुधीरन का समर्थन कांग्रेस की मित्र पार्टियां भी कर रही थी। जाहिर है ओमन की राजनैतिक स्थिति बेहद कमजोर होती जा रही थी। चर्च भी शराबबंदी के पक्ष में था और मुस्लिम संगठन भी इसी तरह की मांग कर रहे थे। फिर यदि श्री चांडी अपने फैसले पर अड़े रहते और बंद बारों को लाइसेंस जारी कर दिया होता, तो फिर सार्वजनिक जीवन में अपनी छवि बचा पाना उनके लिए कठिन हो जाता।
इनके फैसले का अदालत में घसीटे जाने की पूरी संभावना है। चूंकि लाइसेंस पाए बारों को भी बंद करने की घोषणा कर दी गई है, इसलिए शायद अदालत में सरकार की हार भी हो जाय। यदि ऐसा होता है, तो इस निर्णय के लिए ओमन चांडी की मंशा पर सवाल खड़े हो सकते हैं। (संवाद)
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चांडी के फैसले को दी जा सकती है कोर्ट में चुनौती
बार बंदी के मसले पर कांग्रेस का झगड़ा बढ़ा
पी श्रीकुमारन - 2014-08-28 13:03
तिरुअनंतपुरमः चालाक होना राजनीति में अपराध नहीं है। सच तो यह है कि थोड़ा चालाक होना राजनीति में बने रहने के लिए आवश्यक है। लेकिन यदि आप जरूरत से ज्यादा चालाक बनने की कोशिश करते हैं, तो आपको समाज के उपहास का सामना भी करना पड़ सकता है।