इसे देखते हुए गृह मंत्रालय देश भर में आठ ऐसे नए लैब की स्थापना करेगा जिसमें बैलिस्टिक, रसयान विज्ञान, विष विज्ञान, भौतिकी, जीव विज्ञान, दस्तावेज की सूक्ष्म पहचान व परीक्षण और टेप परीक्षण जैसे केंद्रों की स्थापना शामिल होंगे। ये सभी केंद्र केंद्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं में स्थापित किए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य बढ़ते अपराध और उसकी वैज्ञानिक प्रकृति को समय पर जांचने और उसे रोकने की विधि विकसित करना है। आज की तारीख में पुलिस के लिए अपराधों की पहचान और उसकी प्रकृति की जटिलता को देखते हुए बहुत सारी परेशानियां खड़ी हो रही हैं। दिन पर दिन सूक्ष्म से सूक्ष्मतर और जटिल से जटिलतम होते अपराधों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इसे पकडऩे और अपराधियों को सलाखों के पीछे डालने के लिए हमारे प्रयोगशालाओं में इससे भी उन्नत प्रौद्योगिकी होनी ही चाहिए।
हमारे देश में अभी छह केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं हैं। इन सभी प्रयोगशालाओं की कार्य प्रणाली और वैज्ञानिक गतिविधियों की मॉनिटरिंग एक वैज्ञानिक करता है, जो यह देखता है कि नित प्रतिदिन आने वाले जटिल अपराधिक केसों में किस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है और लैब में अत्याधुनिक तकनीक कैसे प्रयोग में लाया जाए। अपराधों की जांच-पड़ताल करने वाले लैब के वैज्ञानिकों के लिए हर सप्ताह विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है, ताकि वे नए-नए प्रयोगों को अमल में ला सकें और अपराधों की जांच तेजी से हो सके। अपराधियों को पकडऩे के लिए हमारे वैज्ञानिकों को उन अपराधियों से ही ज्यादा सीखने को मिल जाते हैं क्योंकि अपराधी हरेक नए मामले में अलग तरह की तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं। अपराध नियंत्रण और तकनीक उन्नयन के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय फोरेंसिक प्रयोगशालाओं के विस्तार के अलावा उसकी दक्षता को भी बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
भारतीय संविधान के तहत हमारी व्यवस्था में पुलिस राज्य का विषय है और राज्यों में भी अपने अलग अपराध नियंत्रण प्रयोगशालाएं हैं, राज्य सरकारें अपने यहां होने वाले अपराधों की जांच राज्य स्थित प्रयोगशालाओं में करती हैं लेकिन ज्यादा जटिल मामला होने पर उसे केंद्रीय फोरेंसिक लैब में लाया जाता है। केंद्र सरकार इस मामले में राज्यों को सहायता प्रदान करती है तो दूसरी और राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार को विभिन्न तरह के अपराधों की पड़ताल में सहयोग प्रदान करती हैं। न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्टïरीय और अंतरराष्टरीय स्तर पर होने वाले अपराधों की जांच में भी राज्य सरकारें केंद्र को सहयोग प्रदान करती हैं। बदलते समय के अनुसार केंद्र-राज्य को अपने प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक बनाने का समय आ गया है क्योंकि अपराध की प्रवृत्ति दिनोंदिन उत्तर अत्याधुनिक होती जा रही है।
अंग्रेजी से अनुवाद: शशिकान्त सुशांत, पत्रकार
भारत
अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी है प्रौद्योगिकी उन्नयन
एम. वाई. सिद्दीकी - 2014-09-01 13:02
देश में नित नर्ई विधि और अत्याधुनिक तकनीकी से लैस अपराधों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए अब भारत सरकार ने भी देश में स्थित प्रयोगशालाओं के उन्नयन का कार्य प्रारंभ कर दिया है। गृह मंत्रालय का मानना है कि सभी तरह के अपराधों में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल अपराधी करने लगे हैं, जिसे देखते हुए अब हमें अपने प्रयोगशालाओं को उससे बेहतर और अत्याधुनिक बनाने का समय आ गया है।