केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री डॉ0 सी.पी. जोशी ने कल विज्ञान भवन में इकाई के रूप में विकास खंड पर आधारित पिछड़ेपन के सूचकांक के लिए राष्ट्रीय विचार-विमर्श के दौरान यह बात कही। डॉ0 जोशी ने कहा कि भारत सरकार की ओर से श्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी विवाद समाधान के लिए क्षमता निर्माण पर अपनी सातवीं रिपोर्ट में पिछड़े क्षेत्रों के सम्पूर्ण परिदृश्य पर विचार किया था।
डॉ0 जोशी ने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय पिछड़े क्षेत्र अनुदान निधि को कार्यान्वित कर रहा है। भारत सरकार ने इसे जनवरी, 2007 में शुरू किया था। यह कार्यक्रम 250 चिन्हित जिलों में मौजूदा विकासात्मक गतिविधियों के अनुपूरण और आभिसरण के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के जरिए विकास में क्षेत्रीय असंतुलन की चुनौती से निपटने के लिए तैयार किया गया है, ताकि स्थानीय बुनियादी ढांचे और विकास की अन्य जरूरतों में मौजूद महत्त्वपूर्ण अन्तर को दूर किया जा सके।
मंत्री महोदय ने कहा कि दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पंचायती राज मंत्रालय पिछड़ेपन की पहचान की इकाई के रूप में विकास खंड को अपनाने पर विचार कर रहा है तथा इन विकास खंडों में अधिक केन्द्रित कार्यक्रम चलाने के लिए उपयुक्त सूचकांक अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने अन्य मंत्रालयों संगठनों के साथ-साथ इस विषय से संबंधित लेखकों और स्वतंत्र विशेषज्ञों के बीच व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता पर जोर दिया।
इससे पहले उद्घाटन सत्र में पंचायती राज मंत्रालय में सचिव श्री ए.एन.पी. सिन्हा ने कहा कि राज्यों के अधिक पिछड़े क्षेत्रों में शासन को खासतौर पर मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अन्तर राज्य असमानताओं को कम करने के लिए पिछड़े क्षेत्र विकास बोर्ड और प्राधिकरणों जैसे विशेष उद्देश्य वाहनों की भूमिका की भी समीक्षा करने की जरूरत है। एक दिन के इस विचार-विमर्श के दौरान विभिन्न राज्यों, संघीय क्षेत्रों, शैक्षणिक संस्थाओं, केन्द्रीय मंत्रालयों और योजना आयोग के प्रतिनिधि शामिल हुए।#
भारत
पिछड़ेपन के सूचकांक के विकास पर राष्ट्रीय विचार-विमर्श
विशेष संवाददाता - 2010-01-14 10:30
देश में पंचायती राज प्रणाली के पुनरुद्धार और मजबूती के लिए योजना आयोग के सभी हितधारकों के जरिए सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के सूचकांक के साथ गरीबी, साक्षरता और शिशु मृत्युदर सहित मानव विकास के सूचकांक पर आधारित (विकास खंड को इकाई मानकर) पिछड़े क्षेत्रों की पहचान करने के लिए समग्र कसौटी पर विचार करने और विकसित करने का यह उचित समय है।