पर्यवेक्षकों को यह देखकर हैरत होती है कि जांच के दौरान किस तरह से ममता के घोटाले से संबंधों को प्रत्येक दिन मीडिया में लाया जा रहा है और उस पर तृणमूल नेताओं की दबे स्वर में किस तरह की प्रतिक्रिया हो रही है। तृणमूल के नेतागण संलिप्तता से इनकार भी नहीं कर रहे हैं।
अभी तक तृणमूल कांग्रेस के एक राज्यसभा सांसद ही गिरफ्तार किए गए हैं। वे हैं कुणाल घोष। उनके अलावा गिरफ्तार होने वालों मे एक बड़ा नाम देबब्रत सरकार का है। सरकार इस्ट बंगाल फुटबाॅल क्लब के प्रमुख हैं और पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री मदन मित्र के बहुत करीबी हैं।
सीबीआई ने व्यवसाई संधीर अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि वे सेबी और आरबीआई के अधिकारियों को मैनेज कर रहे थे।
गिरफ्तार किए जाने वालों में शारदा कंपनी की उच्च अधिकारी देबजानी मुखर्जी भी हैं। सुदिप्त के बेटे पहले से ही हिरासत में हैं। उन सबको हिरासत में लेकर एजेंसी यह पता करने की कोशिश कर रही है कि तृणमूल के नेता किस हद तक उस कंपनी से जुड़े हुए थे और किस तरह वे लाभान्वित हो रहे थे। जानकारी हासिल करने में सीबीआई के जांच अधिकारी कुछ हद तक सफल भी हुए हैं।
यह भी अब जाहिर हो गया है कि कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम घोटाले की जांच की दिशा मे कुछ नहीं कर रही थी। इसके कारण सीबीआई का काम कठिन हो गया है और जांच कार्य विलबित हो गया है। सीबीआई ने विशेष जांच टीम की शिकायत हाई कोर्ट से की है। प्रवत्र्तन निदेशालय ने भी उस टीम के खिलाफ हाई कोर्ट से पहले शिकायत की थी।
यह पहली बार है कि सीबीआई या प्रवत्र्तन निदेशालय ने किसी राज्य की पुलिस पर इस तरह के आरोप हाई कोर्ट में लगाए हों। इस घोटाले मे 20 हजार से 25 हजार करोड़ रुपये की लूट हुई थी और जिन्हें लूटा गया, वे आमतौर पर प्रदेश के गरीब लोग ही थे।
लेकिन अब जांच की आंच ममता बनर्जी तक पहुंच चुकी है। सुश्री बनर्जी सभी मसलों पर नैतिकता की ऊंची बातें किया करती थी और दुनिया को यह दिखाती थी कि सार्वजनिक जीवन में उनके लिए नैतिकता सबसे ज्यादा मायने रखती है। सवाल उठता है कि अब उनके पास कहने के लिए क्या होगा?
कोलकाता स्थित पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता बनर्जी ने इस धोटाले की जांच सीबीआई से करवाने के प्रयासों का हर संभव विरोध किया और पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालतों में इसके लिए 11 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। वैसा करके उन्होंने यह साफ संकेत दे डाला था कि उनके लोग इन घोटालोें में बुरी तरह शामिल थे। यदि सीबीआई ने तृणमूल नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर किया, तो ममता बनर्जी की छवि काफी खराब होगी।
ममता बनर्जी को डर है कि उनकी गति कहीं लालू यादव और मुलायम सिंह यादव जैसी न हो जाय। यह सच है कि सीबीआई जांच के बाद भी लालू और मुलायम की अपने प्रदेशों मे राजनैतिक जमीन कायम है, लेकिन उसके कारण दिल्ली की राजनीति में उनकी स्थिति बहुत कमजोर हुई है। मायावती और जयललिता की स्थिति भी यही है। क्षेत्रीय नेताओं में ममता बनर्जी ने अपनी छवि साफ बना रखी थी। वह सादगी की प्रतिमूर्ति बनी हुई थीं।
गिरफ्तार किए जाने के बाद कुणाल घोष ने इस घोटाले में संलिप्तता के लिए अनेक अन्य तृणमूल नेताओ के नाम गिनाए हैं। उन नामों में से एक नाम ममता बनर्जी का भी है। ये सारे नाम उन्होंने सार्वजनिक रूप से लिए हैं। जिनका नाम लिया गया है, वे या तो चुप हैं या उसे गलत बता रहे हैं।
इन सबके बीच भारतीय रेल द्वारा शारदा कंपनी को लाभ पहुंचाने का मामला भी सामने आया है। उस कंपनी को यह लाभ उस समय पहुंचाया गया, जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थी। यह बहुत बड़ा धमाका है और इसके कारण ममता बनर्जी की समस्या आने वाले दिनों मे और भी बढ़ने वाली है। (संवाद)
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शारदा घोटाले की आंच ममता तक पहुंची
तृणमूल नेतृत्व में खलबली
आशीष बिश्वास - 2014-09-06 10:32
क्या ममता बनर्जी लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती और जयललिता के उस क्लब में शामिल होने जा रही हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है, क्योंकि शारदा चिट फंड कंपनी के घोटाले की जांच की आंच अब सुश्री बनर्जी तक पहुंचने लगी है।