इस चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बड़े पैमाने पर सहारा लिया जा रहा है। जाति की राजनीति भी जमकर हो रही है। उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार और केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों को भी चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। लव जिहाद की बातें जोर शोर से हो रही हैं। सपा और भाजपा चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं, क्योंकि दोनों को लग रहा है कि इनके नतीजे 2017 के चुनावी मूड का निर्धारण करेंगे।
उत्तराखंड और बिहार में चुनाव हारने के बाद अमित शाह उत्तर प्रदेश में किसी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की सभी 10 विधानसभा सीटों पर जीत देखना चाहते हैं। 11वीं सीट पर भाजपा के सहयोगी अपना दल का उम्मीदवार है। वहां भी अमित शाह दल की जीत देखना चाहते हैं। इसके अलावा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भी वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
जिस तरह से सांप्रदायिकता को आधार बनाकर उत्तर प्रदेश का यह चुनाव लड़ा जा रहा है, उस तरह की सांप्रदायिकता का इस्तेमाल पहले किसी चुनाव में यहां नहीं हुआ था। प्रदेश के अखबारों में सांप्रदायिकता के बयान भरे पड़े रहते हैं। उनमें बार बार यह दुहराया जा रहा है कि जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है, उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव की छोटी बड़ी 600 घटनाएं घटित हो चुकी हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने यागी आदित्यनाथ को अपना प्रमुख चुनाव प्रचारक बना रखा है। योगी गोरखपुर से भाजपा के सांसद हैं। उन्होंने प्रचार का बहुत ही आक्रामक रवैया अपना रखा है। पिछले कई सप्ताह से वे नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही हैं। लेकिन योगी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। निर्वाचन आयोग ने उन्हें नोटिस भी जारी कर दिया है।
समाजवादी पार्टी योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है। वह उन पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का आरोप लगा रही है।
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी लव जेहाद को भी मुद्दा बना रही है। मुजफ्फरनगर दंगों के अभियुक्त भारतीय जनता पार्टी सांसद संगीत सोम ने लव जिहाद के मुद्दे पर एक महापंचायत आयोजित करने का फैसला किया है, ताकि सांपद्रायिक तनाव को और भी ज्यादा बढ़ाया जा सके।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने तो घोषणा कर दी कि यदि उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव बने रहे, तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन जाएगी। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अमित शाह के इस बयान की निंदा की है और आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी चुनावी लाभ लेने के लिए सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है।
मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के लिए हो रहा उपचुनाव मुलायम ंिसंह यादव के लिए काफी मायने रखता है। यह मुलायम सिंह का घरेलू क्षेत्र है और पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी ही यहां जीत हुई थी। आजमगढ़ से भी उन्होंने जीत हासिल की थी और इस क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया था। अब उनके भाई का पोता यहां से चुनाव लड़ रहा है। पर भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपनी ताकत लगा रखी है। उसके अनेक स्टार प्रचारक यहां डेरा डाले हुए हैं।
पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव यहां से अपनी जीत के लिए इतना आश्वस्त थे कि उन्होंने यहां किसी चुनावी सभा तक को संबोधित नहीं किया था। पर इस बार वे यहां काफी मेहनत कर रहे हैं और किसी तरह की कोताही करने के पक्ष में नहीं हैं। अपने भाई के पोते तेज प्रताप सिंह यादव की जीत सुनिश्चित करने के लिए वे इस लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
मुलायम सिंह यादव कह रहे हैं कि यदि उनकी पार्टी तीन विधानसभा क्षेत्रों में भी चुनाव जीतती है, तो वह उपचुनावों में अपनी जीत ही मानेगी, क्योंकि पिछले 2012 के विधानसभा चुनावों में ये सारी सीटें भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अपना दल को ही मिली थी। (संवाद)
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उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण पर जोर
प्रदीप कपूर - 2014-09-10 12:37
लखनऊः आगामी 13 सितंबर को उत्तर प्रदेश के 11 विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान होंगे। मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही हो रहा है और कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी की भूमिका सिर्फ सपा और भाजपा के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ने और बनाने तक सीमित है। इसका कारण यह है कि बहुजन समाज पार्टी खुद चुनाव नहीं लड़ रही है, जबकि कांग्रेस चुनाव लड़ते हुए भी चुनावी संग्राम से बाहर हो गई है।