गुरुवार, 10 अगस्त 2006

मां के दूध में भी कीटनाशक!

कोक-पेप्सी पर प्रतिबंध पर तर्क-कुतर्क

ज्ञान पाठक

भारत में शीतल पेयों में कीटनाशक की मात्रा को लेकर चल रहे विवाद और विभिन्न सरकरी तथा गैर सरकारी संस्थानों में एक के बाद एक अमेरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पेय कोका-कोला या कोक और पेप्सी को प्रतिबंधित करने का सिलसिला चल पड़ने पर अब हमारे देश के कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि कीटनाशक की मात्रा तो नारियल के पानी और माँ के दूध में भी होती है!

बड़ा अजीबोगरीब तर्क है यह। कोई सामान्य आदमी ऐसा तर्क देता तो उसे अज्ञानी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता, लेकिन यह बयान शरद पवार का है जिसके गहरे अर्थ हैं। जनता के जीवन की सुरक्षा की गारंटी सरकार को ही भारत के संविधान के तहत लेना होता है और सरकार का ही एक मंत्री ऐसा बयान दे तो स्वाभाविक तौर पर अनेक सवाल खड़े हो जाते हैं। ध्यान रहे कि शरद पवार उस संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष थे जिसने इस मामले की जाँच की थी और अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी।

यद्यपि उनका कहना था कि मुद्दा कीटनाशक की मौजूदगी की मात्रा का है और इसके अंश स्वीकृत मात्रा से ज़्यादा नहीं होने चाहिए, लेकिन यदि कोक और पेप्सी पर प्रतिबंधों के संदर्भ में उनके तर्क को सुना जाये तो साफ जाहिर होता है कि वह दोनों अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बचाना चाहते हैं।

सत्ता के अंदर और बाहर अनेक लोग इन दोनों कंपनियों के पक्ष में हैं वरना अब तक ये दोनों पेय देश भर में प्रतिबंधित हो गये होते। भारतीय संसद में इनपर 6 अगस्त 2003 को प्रतिबंध लगाया गया था, जिस समय केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग की सरकार चल रही थी। वह कार्रवाई उस जांच रपट के आने के चंद दिनों के अंदर कर दी गयी थी जिसमें कहा गया था कि उन पेयों में कीटनाशकों की मात्रा खतरनाक स्तर तक है। लेकिन जनता को ये खतरनाक पेय पिलाने को प्रतिबंधित संपूर्ण देश में आज तक नहीं किया गया।

उसके पूर्व दिल्ली की एक ग़ैरसरकारी संस्था विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन शीतल पेयों में ज़हरीले कीटनाशकों की मात्रा बहुत अधिक थी।

इसी संस्था ने अब तीन साल बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शीतल पेयों में कीटनाशक की मात्रा पहले से भी अधिक है।

ऐसा भी नहीं कि शरद पवार सरासर गलत बोल रहे थे। उनका कहना सही है कि कीटनाशक मां के दूध और नारियल के पानी के अंदर तक पहुंच गया है। किसानों द्वारा आधुनिक कीटनाशकों, जिनमें से अनेक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बनाती हैं, के भारी मात्रा में प्रयोग और ऐसा करने को लाभ के उद्देश्य से कंपनियों द्वारा प्रोत्साहित करने के कारण विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है। आदमी और पशु-पक्षी कीटनाशकों युक्त कृषि उपज खाने को विवश हो गये हैं। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए जिस समय एक सर्वांगीण योजना बनाकर उसे लागू करने की आवश्यकता है उस समय शरद पवार जो राग अलाप रहे हैं वह देश के जनजीवन के लिए निश्चित रुप से नुकसानदेह है।

इस मामले में विवाद जारी है और प्रतिबंध की ताजा घटना कल की ही है। केरल के मुख्य मंत्री वी एस अच्युतानंदन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई काबिना की बैठक में पेप्सी और कोकाकोला की बिक्री और इसके साथ-साथ राज्य में इनके उत्पादन पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया। प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने सभी कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाने का भी फैसला किया है।

वैसे केरल में कोका कोला के संयंत्र को लेकर एक पुराना विवाद भी है। प्लाचिमाड़ा गांव के लोगों का कहना है कि कंपनी द्वारा पानी के अंधाधुंध दोहन से वहां भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे चला गया है जिसके कारण उनका जीवन संकटग्रस्त हो गया है। इसको लेकर कंपनी के खिलाफ अनेक विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं।

केरल के पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी राज्य सरकार ने सरकारी प्रतिष्ठानों, अस्पतालों और स्कूलों में पेप्सी और कोक जैसे शीतल पेयों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

हालांकि शीतल पेय बनाले वाली इन बहुराष्ट्रीय अमेरिकी कंपनियों ने अपने उत्पादनों में कीटनाशकों के होने के आरोपों को खारिज करती रही हैं, सरकारी और गैर सरकारी जांच रपटें उन पेयों में कीटनाशकों की खतरनाक स्तर तक उपस्थिति की पुष्टि करती रही हैं।

देश के कुछ हिस्सों से तो ये खबरें भी आ रही हैं कि किसान अपनी फसलों को कुछ विशेष प्रकार के कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों के रुप में इन पेयों का छिड़काव भी कर रहे हैं।

इन कंपनियों की ओर से लाबिंग जारी है। समाचार माध्यमों में इन कंपनियों के विज्ञापन प्रकाशित और प्रसारित हो रहे हैं और आरोपों का खंडन किया जा रहा है। बुधवार को तो ‘इंडियन साफ्ट ड्रिंक्स मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन’ ने एक बयान जारी कर फिर कहा है कि ये कंपनियां तय सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखती हैं। लेकिन दूसरी ओर कल ही सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों कंपनियों को नोटिस जारी किया है।#