गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी पिछले उपचुनावों में उन 8 सीटों पर हार गईं, जिन्हें उसने 2012 में उस समय जीता था, जब उसकी स्थिति खराब थी और प्रदेश के अन्य अनेक इलाकों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीत रहे थे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता और अनेक राजनैतिक विश्लेषक इस बात पर आश्चर्य कर रहे हैं कि आखिर पार्टी को विकास के अपने मुद्दे से भटकने की क्या जरूरत पड़ी। उस मुद्दे ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया था।
पिछले उपचुनावों के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और लव जिहाद की चर्चा को मुख्य चुनावी हथकंडा बनाए जाने का अनेक भाजपा नेता अब विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव के समय भी वे इसके विरोध में थे। इसके कारण निर्वाचन आयोग को नोटिस तक जारी करना पड़ा था।
अब पार्टी के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज के गैरजिम्मेदाराना बयानों से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को हार का मुह देखना पड़ा।
लेकिन दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि जिन दो विधानसभा क्षेत्रों में उनके भाषण हुए, वहां पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीत गए। वे दो विधानसभा क्षेत्र हैं नोएडा और पूर्वी लखनऊ। उनका कहना है कि अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी उनकी काफी मांग थी, लेकिन उन्हें वहां प्रचार के लिए नहीं जाने दिया गयां
उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं की शिकायत है कि पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने इन चुनावों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें लगा कि वे इन उपचुनावों में उसी तरह विजयी हो जाएंगे, जिस तरह वे कुछ महीनों पहले लोकसभा चुनावों में जीते थे। उस समय उन्हें प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों मंे से 73 पर जीत हासिल हुई थी।
इन उपचुनावों में में उत्तर प्रदेश से केन्द्र में मंत्री बने कोई भी वरिष्ठ नेता प्रचार करने नहीं आए।
राजनाथ सिंह केन्द्र में गृहमंत्री हैं। उनके अपने लोकसभा क्षेत्र लखनऊ के एक विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव हो रहा था, लेकिन वे वहां भी चुनाव प्रचार में नहीं आए। हालांकि उस क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बने लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन चुनाव जीत गए। गौरतलब है कि लखनऊ से राजनाथ सिंह को लोकसभा उम्मीदवार बनाने के लिए खुद लालजी टंडन ने यहां से अपना दावा छोड़ दिया था। 2009 से 2014 तक वे ही यहां से लोकसभा सांसद थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का कहना है कि पूर्व अध्यक्षों की समिति से किसी ने किसी भी तरह का सलाह मशविरा नहीं किया।
भाजपा के एक अन्य नेता ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि पिछले एक दशक में ओबीसी और दलितों की पार्टी द्वारा की गई उपेक्षा के कारण पार्टी की यह गति हुई है। उनका कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी की जीत हुई थी। (संवाद)
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उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति
भाजपा नेता बता रहे हैं इसे हार का कारण
प्रदीप कपूर - 2014-09-25 11:45
लखनऊः भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में अपना मुख्य चेहरा बनाने और आक्रामक हिंदुत्व की नीति अपनाने से ही विधानसभा के उपचुनावों में उनकी हार हुई।