मायावती अपने जन्मदिन को आर्थिक योगदान दिवस के रूप में मनाया करती थीं। इसके तहत कार्यकत्र्ताओं से पार्टी के लिए आर्थिक योगदान करने की अपील की जाती थी। इस बार मुख्यमंत्री ने अपने जन्म दिन को आर्थिक योगदान दिवस के रूप में नहीं मनाने की घोषणा कर रखी थी।
उन्होंने कह रखा था कि इस बार वे पार्टी को आर्थिक योगदान करके अपना जन्मदिन नहीं मनाएं, बल्कि विधानपरिषद की सभी सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जीत ही कार्यकत्र्ताओं की तरफ से उनके लिए जन्म दिन का तोहफा होगा।
36 में से 34 सीटों पर विजय पाना उनके लिए जन्म दिन का एक बहुत बड़ा तोहफा ही तो है। अन्य दो सीटों में से एक समाजवादी पार्टी को हासिल हुई है, जबकि दूसरी सीट कांग्रेस के खाते में गई है।
यह चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है। सपा अमर सिंह के कारण पहले से ही एक बड़ी समस्या में फंसी दिखाई दे रही थी। विधान परिषद चुनावों में उसकी यह हार उसके भविष्य को और भी धुंधला करने का काम कर रही है।
36 में से 24 सीटें तो सपा के ही पास थीं। इसलिए सबसे बड़ा नुकसान तो उसका ही हुआ है। उसे प्रतापगढ़ में सीट हासिल हुई है। उस जीत का श्रेय भी मुलायम को नहीं बल्कि राजा भैया को मिल रहा है, क्योंकि वह राजा भैया का अपना गढ़ माना जाता है और वहां जीत राजा भैया के चचेरे भाई की हुई है।
यानी अस चुनाव में समाजवादी पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया है। अमर सिंह प्रकरण का असर इस चुनाव पर पड़ा है। मतदान के दो दिन पहले ही श्री सिंह ने पार्टी पदों से इस्तीफा दिया था और एक तरह से पार्टी को परिषद चुनावों मे जीतकर दिखान की चुनौती दे डाली थी।
अमर सिंह के नाराज होने का तात्कालिक कारण भी परिषद चुनावों में उम्मीदवारों के चयन में उनकी उपेक्षा थी। बलिया से जिस उम्मीदवार को वह टिकट दिलाना चाहते थे, उस उम्मीदवार को पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था। मतदान के ठीक पहले इस्तीफा देकर अमर सिंह ने अपनी तरफ से मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की थी और सपा की हार में श्री सिंह अपनी सफलता के निशान ढूंढ़ सकते हैं।
झटका तो कांग्रेस को भी बहुत करारा लगा है। लोकसभा चुनावों में कुछ बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी फिर से वापसी की उम्मीद कर रही है। इस चुनाव में उसके उम्मीदों को झटका लगा है। कांग्रेस सिर्फ रायबरेली की सीट पर ही विजय पा सकी। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सदमा सुल्तानपुर-अमेठी में उसके उम्मीदवार की हार है।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन उनकी कोशिशें काम नहीं आईं। भाजपा का तो खाता तक नहीं खुल सका। सनद रहे कि जिन सीटों के लिए चुनाव हुए, उनमें भाजपा के पास 6 सीटें थीं।
इन चुनावों के बाद 100 सदस्यीय विधान परिषद में बसपा को बहुमत हो गया है। (संवाद)
भारत: उत्तर प्रदेश
विधान परिषद चुनाव में मायावती की जीत
कांग्रेस और मुलायम को जबर्दस्त झटका
प्रदीप कपूर - 2010-01-16 11:26
लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणामों में मुख्यमंत्री मायावती को जन्मदिन का एक शानदार तोहफा मिला है। राज्य परिषद की 36 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। उनमें 34 पर बसपा उम्मीदवारों की जीत हुई है।