पिछले तीन समिट के दौरान निवेशकों से एमओयू (मेमोरेंडम आॅफ अंडरस्टैडिंग) करने पर ज्यादा जोर था। इस बार एक्सप्रेशन आॅफ इंट्रेस्ट पर जोर दिया जा रहा है। इस पर दस्तख्त से यह पता चलेगा कि कितने निवेशक इस बार निवेश के लिए सही मायने में रुचि रख रहे हैं। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, चेक रिपब्लिक, बेल्जियम, बांग्ला देश, बोल्विया, मलेशिया, स्वीडन एवं ऑस्ट्रिया सहित कई देशों के राजदूत शामिल हैं। कई देश अंतर्राष्ट्रीय पार्टनर हैं। इसमें विश्व के शीर्षस्थ उद्योगपतियों में से 50 से ज्यादा शामिल हो रहे हैं। ऐसे में पर्यटर क्षेत्र में निवेश को लेकर बेहतर माहौल बनाया जा सकता है।

भारत सरकार भी पर्यटन के विकास के लिए लगातार प्रतिबद्धता जाहिर करती रही है। मध्यप्रदेश में विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल से लेकर ग्रामीण पर्यटन तक का विस्तार है। यहां की लोक संस्कृति, पुरातत्व, ऐतिहासिक स्थल, धार्मिक स्थल से लेकर प्रकृति एवं वन्य जीव भी है। पर्यटन में निवेश के माध्यम से नवाचारी प्रयोग कर देशी-विदेशी पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में आकर्षित किया जा सकता है। यह प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। देश के विभिन्न हिस्सों की कला और संस्कृति के साथ-साथ स्थनीय इतिहास एवं पुरातत्व को भी बढ़ावा एवं संरक्षण मिलेगा। आज भी भारत आने वाले विदेषी पर्यटक सिर्फ ऐतिहासिक इमारतें एवं पार्क नहीं देखना चाहते, बल्कि वे यहां की संास्कृतिक विविधता को देखना चाहते हैं। वे लोक नृत्य, लोक संगीत एवं स्थानीय क्राफ्ट के प्रति रूझान दिखाते हैं। ऐसे में निःसंदेह ग्रामीण पर्यटन का क्षेत्र भी आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण सेक्टर है। पर्यटन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जो कुल जीडीपी का 10 फीसदी होता है। भारत में साल दर साल विदेष पर्यटकों में इजाफा भी होता जा रहा है। पर्यटन से स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास होता है। इसमें स्थानीय लोगों को रोजगार और बाजार खड़ा किया जा सकता है। (संवाद)