दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के हौसले बुलंद हैं, जबकि कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा मे कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता में है, तो महाराष्ट्र में पिछले 15 साल से। नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने मे सफल हुए थे। उसके बाद हुए उपचुनावों में उनकी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है, लेकिन उनकी लोकप्रियता की असली परीक्षा तो इन विधानसभाओं के आम चुनावों में हो रही है। इससे पता चलेगा कि मोदी का जादू मतदाताओं पर अभी भी चल पा रहा है या नहीं।

भारतीय जनता पार्टी इस बार दोनों राज्यों में अकेली ही लड़ रही है। महाराष्ट्र में उसका पिछले 25 सालों से शिवसेना के साथ गठबंधन था और दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ा करती थीं। पर इस बार शिवसेना से उसक गठबंधन समाप्त हो गया है। कुछ छोटी पार्टियां उसके साथ अवश्य हैं, लेकिन भाजपा को अपनी जीत खुद अपने बूते ही सुनिश्चित करनी होगी और उसकी जीत का सारा दारोमदार नरेन्द्र मोदी पर निर्भर करता है।

हरियाणा में भी इस बार कुलदीन बिश्नोई की पार्टी भाजपा के साथ नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का उनकी पार्टी के साथ गठबंधन था। जाहिर है वहां भी पार्टी को नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का ही सहारा है।

महाराष्ट्र एक बहुत बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश के बाद यह भारत का अब दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और यह भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस दोनों के लिए खास मायने रखता है। इस बार दोनों पार्टियां बहुकोणीय संघर्ष का सामना कर रही हैं। पहले दोनों मोर्चाबंदी करके मैदान में उतरती थीं और दोनों मोर्चे में सीधा मुकाबला हुआ करता था। कांग्रेस का काम यहां निश्चय ही बेहद कठिन है। इसके पास कोई बड़ा नेता नहीं है। सोनिया गांधी 8 से 10 रैलियों को संबोधित करेंगी, तो नरेन्द्र मोदी 42 रैलियों को संबोधित करेंगे। कांग्रेस के लिए चैथी बार सत्ता में आना चमत्कार से कम नहीं होगा।

एनसीपी और शिवसेना के पास मजबूत नेता हैं। राज ठाकरे की पार्टी अलग से चुनाव लड़ रही है। यदि उद्धव और राज ने आपस में तालमेल कर चुनाव लड़ा, तो दोनों को फायदा होगा। यदि शिवसेना और एनसीपी का प्रदर्शन खराब रहा, तो दोनों की पकड़ प्रदेश की राजनीति से समाप्त हो जाएगी।

महाराष्ट्र की तरह हरियाणा में भी मुकाबला दिलचस्प है। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, तो हरियाणा की मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख चैटाला जेल की सजा काटते हुए जमानत पर छूटकर प्रचार कर रहे हैं और जेल में ही मुख्यमंत्री की शपथ लेने का दावा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भारी सफलता पाने के बाद भाजपा भी यहां सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन उसके पास बड़े कद का कोई नेता नहंीं है। उसे नरेन्द्र मेादी के करिश्मे पर ही निर्भर रहना है। (संवाद)