आयोजन के लिए गिनिज के दिशानिर्देशों को पालन करने की पूरी तैयारी की गई थी। गिनिज के अनुसार, वर्तमान में विभिन्न स्थानों पर 740870 लोगों द्वारा एक साथ हाथ धुलाई का रिकाॅर्ड है। यह पैन अमेरिकन हेल्थ आॅर्गेनाइजेषन द्वारा 14 अक्टूबर 2011 को दक्षिण अमेरिका के अर्जेटिना, मेक्सिको और पेरू में आयोजित किया गया था। मध्यप्रदेश में गिनिज के दिशानिर्देशों के पालन का प्रयास करते हुए बच्चों के हाथ धुलवाए गए। बड़े स्तर पर दिशानिर्देशों का पालन हो पाया या नहीं, और विश्व रिकाॅर्ड बन पाया या नहीं, यह तो तथ्यों के संकलन और गिनिज की पुष्टि के बाद ही पता चलेगा, पर इस आयोजन ने लोगों में सही तरीके से हाथ धुलाई के प्रति जागरूक करने का सकारात्मक प्रयास किया।

पूरी दुनिया में 5 साल से छोटे बच्चों की बड़ी संख्या में मौत होती है। इसके लिए जिम्मेदार कारणों में डायरिया दूसरा सबसे बड़ा कारण है। डायरिया और श्वास संबंधी बीमारियों से बच्चों की मौत को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डायरिया और श्वास संबंधी बीमारियों टायफायड, निमोनिया, हैजा आदि को रोकने का एक कारगर वैज्ञानिक तरीका सही तरीके से हाथ धुलाई है। भारत में बड़ी संख्या में लोग शौच के बाद एवं कुछ खाने से पहले अपने हाथ को नहीं धोते हैं और यदि हाथ धोते भी है, तो वह तरीका सही नहीं होता। साबुन से हाथ धोकर रोगाणु के कारण होने वाली विभिन्न प्रकार की डायरिया, जैसे टायफायड, हैजा आदि को फैलने से रोका जा सकता है। हाथ धोने से हाथ में बैठे बैक्टिरिया, परजीवी और वायरस को साफ किया जा सकता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार अकेले भारत में डायरिया और श्वास संबंधी बीमारियों से प्रतिदिन लगभग 600 बच्चों की मौत हो जाती है। शौच के बाद एवं खाने से पहले साबुन से हाथ धोने पर निमोनिया को एक चैथाई एवं डायरिया को आधा कम किया जा सकता है, जिससे देश एवं दुनिया में लाखों बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है।

विश्व हाथ धुलाई दिवस की शुरुआत स्टाॅकहोम में 2008 में विष्व जल सप्ताह के दरम्यान की गई थी। इसका उद्देश्य वैष्विक स्तर पर लोगों को साबुन से हाथ धोने के लिए संगठित एवं प्रेरित करना है। संयुक्त राष्ट्र् महासभा द्वारा 2008 में अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता वर्ष की घोषणा के साथ ही प्रथम विश्व हाथ धुलाई दिवस के लिए 15 अक्टूबर का दिन तय किया गया था। तब से लगातार 15 अक्टूबर को हाथ धुलाई दिवस आयोजित किया जाता है। (संवाद)