2011 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर दीदी ममता बहुत खुश थी। उस जीत के बाद वह पश्चिम बंगाल में वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस का लगातार पतन होते देख कर बहुत खुश भी हो रही थीं, लेकिन अब वहां भारतीय जनता पार्टी की बढ़त होने लगी है और इसके कारण वह परेशान लग रही हैं। सत्ता में आने के बाद ममता ने बहुत आक्रामक रुख अपनाना शुरू कर दिया था। यह आक्रामकता वहां की विपक्षी पार्टियों के लिए थीं। शुरू मंे यह रणनीति काम भी कर रही थी, लेकिन अब वही पार्टी के लिए समस्या बनती जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी की बढ़त को ममता शुरू में सामयिक मान रही थी। वहां भाजपा कभी कोई ताकत नहीं रही थी। कुछ सीमित इलाके में ही उसका कुछ प्रभाव दिखाई पड़ता था। 2009 में तो भाजपा को अपना सदस्यता अभियान चलाने में भी दिक्कत होती थी, क्योंकि कोई उसका सदस्य बनने को तैयार नहीं होता था। पर इस बार भाजपा ने अपने दम पर लोकसभा की दो सीटें पहली बार जीती। उससे भी बड़ी बात यह थी कि उसने 17 फीसदी मत प्राप्त कर लिए। फिर भी उस चुनाव में ममता की पार्टी को शानदार सफलता मिली। उसे 40 फीसदी मत प्राप्त हुए, लेकिन विरोध में पड़ने वाला 60 फीसदी बुरी तरह विभाजित था। 2009 के चुनाव में ममता की पार्टी को 19 सीटें मिली थीं, लेकिन मुसलमानों के ठोस समर्थन के कारण 2014 के लोकसभा चुनाव में उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 34 हो गई।

पर लोकसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी को उस समय सदमा लगा, जब विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने अपना खाता खोल लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका लक्ष्य पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक बड़ी ताकत बनना है। विधानसभा के चुनाव के पहले नगर निगमों के चुनाव हैं। पहले वहां शक्ति प्रदर्शन होगा। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रबंधन शुरू कर दिया है। उसने मुद्दे भी तलाश लिए हैं। एक मुख्य मुद्दा तो शारदा चिट फंड घोटाला है और दूसरा बड़ा मुद्दा जिहादी समूहों का प्रदेश में बढ़ता प्रभाव है। कानून व्यवस्था में गिरावट को भी भाजपा जोर शोर से उठा रही है।

भाजपा ने अगले मार्च महीने तक एक करोड़ सदस्य पश्चिम बंगाल में बनाने का लक्ष्य रखा है। उसने सीपीएम के कार्यकत्र्ताओं को भी सदस्य बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा ने राज्य स्तर के 50 नेताओं को प्रशिक्षित किया है और उन्हें जिला स्तर के 100 नेताओं को प्रशिक्षित करने के लिए कहा गया है। प्रशिक्षित नेता पंचायत और वार्ड स्तर तक पार्टी को ले जाने का काम करेंगे। भाजपा हिंदू मतदाताओ को अपने पक्ष में गोलबंद करने की रणनीति तैयार कर रही है, जिसके तहत बहुत ज्यादा हंगामा नहीं करना शामिल है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि मुसलमान उसके खिलाफ गोलबंद होने लगें।

दूसरी तरफ दीदी भाजपा से दो स्तरों पर टक्कर लेने की रणनीति पर काम कर रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वह भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रही हैं। इसी के तहत वह जवानहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती का उत्सव मनाने के लिए कांग्रेस के आमंत्रण पर दिल्ली आईं और तमाम गैर भाजपा पार्टियों को संदेश दिया कि वह भाजपा को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का हिस्सा होना चाहेंगी। भाजपा का विरोध करने के लिए वे अपनी धुर विरोधी वामपंथी पार्टियों के साथ भी हाथ मिलाने की घोषणा करने लगी हैं।

प्रदेश स्तर पर वह भाजपा के खिलाफ सड़कों पर उतर रही हैं। वह भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, बल्कि सीबीआई के खिलाफ भी आग उगल रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि उसमें दम है तो वह धारा 356 का इस्तेमाल कर उसकी सरकार को बर्खास्त कर दे और उसे गिरफ्तार करके दिखाए।

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में कुछ बढ़त तो हासिल की है, लेकिन अभी भी ममता बनर्जी उससे बहुत आगे है। (संवाद)