2002 के गुजरात दंगे जैसी स्थिति यदि पैदा होती है, तो इससे निश्चय ही भारतीय जनता पार्टी का नुकसान होगा और कांग्रेस की स्थिति कुछ बेहतर होगी, लेकिन कांग्रेस बेलछी जैसे नरसंहार का इंतजार भी कर रही है, जिसके बाद इन्दिरा गांधी वहां हाथी पर चढ़कर पीड़ितों का हाल जानने के लिए गई थीं। बेलछी में सामंतों ने दलितों का नरसंहार किया था। वहां जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं बना था और रास्ता कच्चा तथा कीचड़ से भरा हुआ था। वहां तक पहुंचने के लिए इन्दिरा गांधी ने हाथी की सवारी की थी। उसके बाद ही उनके सत्ता में वापसी की स्थिति बेहतर हो गई थी। दलितों के प्रति दिखाई गई चिंता ने उस समुदाय के बीच कांग्रेस की स्थिति और भी मजबूत कर दी थी और 1980 में कांग्रेस का एक बार फिर सत्ता में वापसी का एक कारण उसे माना गया था।
इस तरह की घटनाएं पार्टी को फिर जिंदा कर सकती हैं या नहीं, यह तो अभी कहना कठिन है, लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि कांग्रेस अब संयोग वश घटने वाली दुर्घटनाओं पर अपनी राजनीति के लिए निर्भर हो गई है। उनके द्वारा ही वह फिर से सत्ता में वापस आने का सपना देख रही है। कांग्रेस बदली हुई परिस्थितियों के बीच अपने को बदलने के लिए तैयार नहीं है। दुनिया बदल गई है। सोचने का तरीका बदल गया। ग्लोबलाइजेशन की नीतियों ने भारत को पूरी तरह बदल दिया है, लेकिन कांग्रेस का दुर्भाग्य देखिए कि वह बदलने के लिए तैयार नहीं है।
कांग्रेस का संगठन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। जिला और ब्लाॅक स्तरों पर अनेक राज्यों में कांग्रेस की कमिटियां तक नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस अपने संगठन को भी चुस्त दुरुस्त करने के लिए तैयार नहीं है। उसे अपने ऊपर कोई भरोसा ही नहीं है। उसे बस इंतजार है, तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार की विफलता का। वह किसी गोधरा कांड के इंतजार में है और यदि कोई बेलछी कांड हो जाय, तो उसके लिए वह और भी अच्छा होगा।
लेकिन यदि कोई दंगा नहीं हुआ, तो कांग्रेस क्या करेगी? खासकर कोई बहुत बड़ा दंगा नहीं हुआ, तो कांग्रेस ने अपने लिए कौन सी प्लान तैयार कर रखी है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको को हाल ही में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया, जहां विधानसभा के चुनाव होने हैं। चाको प्रभार संभालने के बाद जो बताया वह आंखें खोलने वाला था। उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 70 में से 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और पार्टी के उम्मीदवार 16 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे। इसलिए थोड़ी मेहनत करने के बाद पार्टी बेहतर कर सकती है। पर यहां समस्या यह है कि पार्टी में एकता नहीं है और जिला स्तर से ब्लाॅक स्तर पर कांग्रेस कमिटियों का बहुत ही बुरा हाल है। सच कहा जाय, तो जिला और ब्लाॅक कमिटियां हैं ही नही।
समस्या इतनी ही नहीं है। एक समस्या यह भी है कि अनेक मसलों पर पार्टी का स्टैंड स्पष्ट ही नहीं है। उसे पता नहीं है कि आम आदमी की समस्याओं से सबंधित मसलों पर वह किस तरह से अपनी बात रखे। उसे यह भी पता नहीं है कि दलितों और अल्पसंख्यकों की अपनी नीतियों को लोगों के सामने किस तरह से रखे।
कांग्रेस की तरह ही वामपंथी पार्टियों भी कुछ घटनाओं का इंतजार कर रही हैं। वे गोधरा या बेलछी का तो इंतजार नहीं कर रही हैं, लेकिन उन्हें इंतजार है आर्थिक मसलों पर मोदी सरकार को मिली विफलता का। उनका मानना है कि मोदी सरकार देश के आर्थिक अंतर्विरोंधों स ेउपजी समस्याओं का हल नहीं निकाल सकतीं। उन अंतर्विरोंधों के कारण अर्थव्यवस्था का विफल होना लाजिमी है और उसके कारण देश भर में आंदोलन होंगे और इस तरह ऐतिहासिक शक्तियां मोदी सरकार को ले डूबेंगी। (संवाद)
भारत
कांग्रेस को किसी गोधरा जैसी की घटना का इंतजार
भाजपा की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसके पास कोई योजना नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-12-03 11:38 UTC
यदि कांग्रेस के पूर्व सांसद मणिशंकर अय्यर की बात पर विश्वास किया जाय, तो कांग्रेस इंतजार कर रही है कि नरेन्द्र मोदी गोधरा जैसे हालात का निर्माण करें या देश में कोई बड़ी सांप्रदायिक दंगा हो अथवा कोई बेलछी जैसा नरसंहार हो। बेलछी कांड और गोधरा कांड में ढाई दशकों का अंतराल है। अब कांग्रेस फिर से वापसी करने के लिए इन दो तरह की घटनाओं का या उनमें से किसी का एक का इंतजार कर रही है। यानी कांग्रेस की रणनीति इस तरह की घटनाओं का सहारा लेकर ही अपने आपको फिर से प्रासंगिक बनाने की है।