विभाजन के बाद दोनों राज्यों में दो नये मुख्यमंत्रियों ने शपथग्रहण किया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव हैं। दोनों मुख्यमंत्री भी अनेक मसलों को लेकर एक दूसरे के साथ उलझे हुए हैं, पर दोनों के बीच अनेक संस्थानांे और परियोजनाओं के बंटवारे को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
दोनों प्रदेश केन्द्र सरकार पर अपने अपने तरीके से दबाव बना रहा है। दोनों आपसी विवादों में अपना पक्ष लेने के लिए केन्द्र सरकार को कह रहा है और इसके अलावा दोनों ही केन्द्र से भारी वित्तीय सहायता की उम्मीद भी बांधे हुए हैं। केन्द्र की मोदी सरकार दोनों प्रदेशों के झगड़े का मूक दर्शक बनी हुई है। उसके पास भी मसलों को हल करने का कोई फार्मूला नहीं है।
दोनों राज्यों में जमीन की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। आंध्र प्रदेश ने जिस इलाके में राजधानी के निर्माण की घोषणा की है, उस इलाके में तो कीमतें अभी से आसमान छू रही हैं।
हैदराबाद तेलंगाना को मिला है, लेकिन अगले 10 साल तक यह आंध्र प्रदेश की भी राजधानी रहेगा। दोनो राज्यो के गवर्नर इएसएल नरसिंहन हैं और वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि दोनों राज्य सरकारे एक दूसरे के साथ बेहतर माहौल में पारस्परिक समस्याओं को हल करें।
केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने दोनों राज्य सरकारों के बीच कुछ बैठकें भी आयोजित करवाई हैं, लेकिन समस्याओं की सूची बहुत लंबी है और उस अनुपात में दोनों सरकारों के बीच बातचीत भी नहीं हो पा रही है।
दोनों राज्य बंटवारे से संबंधित अपनी समस्याओं को हल करने के लिए व्यस्त हैं और उधर तेलंगाना में खेतिहर किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। तेलंगाना में प्रशासन भी व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसका कारण यह है कि वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों की कमी हो गई है।
प्रदेश में बिजली की भारी कमी हो गई है। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री राव का कहना है कि बिजली की यह समस्या आगामी 3 सालों तक बनी रहेगी, क्योंकि नई बिजली परियोजनाओं द्वारा बिजली उत्पादन में समय लगेगा। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या एक ओर लगातार बढ़ती जा रही है और दूसरी ओर हैदराबाद में बैठकर मुख्यमंत्री राव एक के बाद एक नई नई कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं की घोषणा करते जा रहे हैं। उनका बस दो ही काम रह गया है। एक काम कल्याणकारी कार्यक्रमों की घोषणा करना और दूसरा काम आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ लड़ाई करना।
चुनाव पूर्व अपनी घोषणओं में मुख्यमंत्री राव ने एक से बढ़कर एक वायदे कर डाले थे। वे अपने अधिकांश वायदे को पूरा नहीं कर सके हैं। वे उन्हें पूरा कर भी नहीं सकते। इसलिए लोगों का ध्यान बंटाने के लिए वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के साथ वाद विवाद करते रहते हैं। तेलंगाना की सारी समस्याओं के लिए वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को दोष देते हैं। तेलंगाना में पानी और बिजली की कमी के लिए वे आंध्र के मुख्यमंत्री को ही जिम्मेदार बता रहे हैं। वे अपने प्रदेश के खिलाफ साजिश किए जाने का भी आरोप लगा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि चन्द्रबाबू नायडू तेलंगाना की विकास परियोजनाओ के रास्ते में रोड़ा खड़े कर रहे हैं। (संवाद)
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आंध्र प्रदेश में उथलपुथल का अंत नहीं
तेलंगाना में ग्रामीण बदहाली का साम्राज्य
एस सेतुरमण - 2014-12-09 11:50
आंध्र प्रदेश के विभाजन के 6 महीने से भी ज्यादा हो गए हैं। तेलंगाना नाम के एक नये प्रदेश ने अस्तित्व प्राप्त कर लिया है। लेकिन दोनों राज्यों के बीच अनेक मुद्दों को लेकर अभी भी तनाव बना हुआ है। दोनों प्रदेशों की समस्याएं अपनी अपनी जगह अभी भी बनी हुई हैं। दोनों राज्यों के बीच आर्थिक संसाधनों के विभाजन की समस्या भी अभी बरकरार है।