आंदोलनरत अधिवक्ताओं के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने संवाद को बताया कि संबंधित विधेयक को इसी सत्र में संसद से पास कराने की अपनी मांग को लेकर वे मंगलवार (16 दिसंबर) को वे संसद भवन पर प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब हो कि वर्तमान कानून के तहत दिल्ली की जिला अदालतें 20 लाख रूप से कम राशि वाले मुकदमों की ही सुनवाई कर सकती है। यानी जिस मामले में 20 लाख रूपये या इससे कम की राशि शामिल है, उसी की सुनवाई यहां हो सकती। राशि इससे ज्यादा होने पर हाई कोर्ट में ही सुनवाई का कानून है।
पर कीमतें बढ़ने के कारण रूपये का भारी अवमूल्यन हो चुका है। जिस समय 20 लाख रुपये की सीमा तय हुई थी, उस समय उसकी कीमत बहुत ज्यादा थी। और इससे ज्यादा राशि के मुकदमों की संख्या कम हुआ करती थी। इसलिए 20 लाख से ज्यादा राशि शामिल होने वाले सिविल मुकदमो की सुनवाई हाई कोर्ट में ही होने की कानूनी व्यवस्था थी।
पर अब बदली हुई स्थिति में इससे लोगों का भारी नुकसान हो रहा है और दिल्ली हाई कोर्ट भी मुकदमो के बोझ से दब गया है। दोनों को समस्या से मुक्ति दिलानें के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के ही फुल बेंच ने केन्द्र सरकार से सिफारिश की थी कि 20 लाख की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ कर दिया जाय।
दिल्ली हाई कोर्ट की मांग पर केन्द्र सरकार ने इसी साल फरवरी महीने में इससे संबंधित एक विधेयक राज्य सभा में पेश किया, जिसे संसद की स्थाई समिति के सुपुर्द कर दिया गया। नचियप्पन की अध्यक्षता वाली स्थाई समिति ने उस विधेयक पर अपनी सहमति दे दी है। उसकी रिपोर्ट संसद के पास आ भी चुकी है। अब यह सरकार का यह काम है कि वह संसद से उस विधेयक को पारित करवाए। पिछले 28 नवंबर को ही नचियप्पन समिति ने इसके पक्ष में अपनी रिपोर्ट दे दी थी।
नरेन्द्र मोदी की सरकार दावा करती है कि वह किसी काम को नहीं दबा कर रखती और तेजी से उसे पूरा करती है। इसके कारण यह उम्मीद बनी थी कि संसद के सत्र में ही इसे दोनों सदनों से पारित करवा दिया जाएगा। लेकिन वकीलों को इस बात से नाराजगी है कि वर्तमान संसद सत्र के एजेंडे में इसे रखा नहीं गया है।
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट के वकील इस कानून का विरोध कर रहे थे। इस कानून के कारण 2 करोड़ रुपये तक के सिविस मुकदमे दिल्ली हाई कोर्ट से जिला अदालतों में आ जाएंगे। इसके कारण हाई कोर्ट के वकीलों को लगता है कि उनके कई मुवक्कील उनके हाथ से निकल जाएंगे। लेकिन इसके कारण दिल्ली हाई कोर्ट का बोझ घट जाएगा और वहां लंबित अन्य मुकदमों के निबटारें का काम तेज हो जाएगा।
जिला अदालतों के बार एसोसिएशन मिलकर इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उसकी समन्वय समिति के प्रवक्ता साकेत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद शर्मा ने संवाद से बातचीत करते हुए बताया कि कानून बनने से दिल्ली के लोगों को बहुत राहत मिलेगी। 20 लाख से 2 ऊपर के मामले में विवाद होने से वे इस समय सिर्फ दिल्ली हाई कोर्ट ही जा सकते हैं, जहां मुकदमे में उन्हें ज्यादा खर्च लगता है और वहां मुकदमों की भीड़ के कारण समय भी बहुत लगता है। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट (संशोधन) कानून बन जाने के बाद दिल्ली के लोगों के पास अपना मामला ले जाने के लिए 6 जिला अदालतें उपलब्ध हो जाएंगी। इसके कारण वे कम खर्च और कम समय में अपने विवादों को सुलझा पाएंगे। श्री शर्मा ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि दिल्ली हाई कोर्ट की अनुशंसा और संसदीय स्थाई समिति की सहमति के बावजूद इस विधेयक को लटकाया जा रहा है।
विनोद शर्मा ने कहा कि मांग माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा और समय के साथ इसे तेज भी किया जाएगा। (संवाद)
भारत
वकीलों की हड़ताल से जिला अदालतों का काम ठप
मंगलवार को करेंगे वकील संसद भवन को घेराव
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-12-15 11:38
नई दिल्लीः दिल्ली की अदालतों में एक सप्ताह से काम नहीं हो रहे हैं, क्योंकि वहां के वकील हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि जिला अदालतों द्वारा सुनवाई की जाने वाली सिविल मुकदमों की राशि की अधिकतम सीमा वर्तमान 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करने वाले कानून को संसद के इसी सत्र में पारित कर दिया जाय।