भारतीय जनता पार्टी इससे हो रहे नुकसान को कम कर सकती थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की इस मामले पर चुप्पी भाजपा की समस्या और भी बढ़ाने का काम कर रही है। यदि नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के खिलाफ कुछ बोला होता, तो शायद विश्व हिंदू परिषद अपने इस अभियान पर दुबारा विचार करती। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और इसके कारण ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोग भाजपा को लेकर सशंकित हो गए हैं। गौरतलब हो कि केरल में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। दोनों मिलकर प्रदेश की कुल आबादी के आधे से भी ज्यादा हो जाते हैं।
विश्व हिंदू परिषद द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान का समय भी काफी महत्वपूण है। यह अभियान उस समय चलाया गया, जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह केरल के दौरे पर थे। हालांकि भाजपा के नेताओं का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद के इस अभियान से उसका कोई लेना देना नहीं है, लेकिन उनकी ओर इस अभियान की निंदा भी नहीं की जा रही है, जिसके कारण भाजपा को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में आशंका बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी से उत्साहित होकर विश्व हिंदू परिषद के नेता अपने इस अभियान को और भी तेज करने का इरादा जाहिर कर रहे हैं। भविष्य के लिए भी वे योजना बना रहे हैं। केरल में सभी समुदायों के लोग आपसी मेलजोल से रहते हैं। विश्व हिंदू परिषद का यह अभियान माहौल को अशांत कर सकता है।
अमित शाह की केरल यात्रा के दौरान भाजपा ने अपने लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वह लक्ष्य इस प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में 71 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने का है। फिलहाल भाजपा के पास एक भी विधायक यहां से नहीं है। सच तो यह है कि केरल से भाजपा का कोई भी विधायक अबतक चुना नहीं गया है। आगामी 2016 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उस समय तक पार्टी को वह लक्ष्य पाने में सक्षम बनाने के लिए भाजपा ने अपने सदस्यों की संख्या 50 लाख तक बढ़ाने का टारगेट रखा है। फिलहाल केरल में भाजपा सदस्यों की संख्या 5 लाख है।
भाजपा विरोधी पार्टियां उसकी इस महात्वाकांक्षा का मजाक उड़ा रही हैं। भाजपा के मिशन 71 को वह मिशन असंभव कह रही है। उनकी बातों में दम है, क्योंकि भाजपा के पास वह संगठनात्मक मशीनरी नहीं है, जिससे इस लक्ष्य को हासिल किया जा सके। भाजपा के नेताओं में आपसी गुटबंदी भी कोई कम नहीं है।
इसके अलावा उनका कहना है कि केरल में हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द रहा है। यहां के माहौल को सांप्रदायिक नहीं बनाया जा सकता। उनका मानना है कि भाजपा माहौल को सांप्रदायिक बनाकर ही कमल खिलाती है। जाहिर है केरल का माहौल कमल खिलाने लायक नही है।
भाजपा के नेता अपने विरोधियों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि जब उनकी पार्टी वामपंथियों के गढ़ पश्चिम बंगाल मे मजबूती प्राप्त कर सकते हैं, तो फिर केरल में क्यों नहीं? वे नेयाथिंकारा विधानसभा के उपचुनाव का हवाला देते हैं। उस उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार राजगोपाल को 30 हजार मत मिले थे, जबकि उसके पहले हुए आम चुनाव में मात्र 6 हजार मत ही मिल सके थे। (संवाद)
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केरल में भाजपा की रणनीति
विरोधियों ने मिशन 71 का मजाक उड़ाया
पी श्रीकुमारन - 2014-12-29 12:05
तिरुअनंतपुरमः केरल के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जो रणनीति बनाई थी, उसका सत्यानाश तो विश्व हिंदू परिषद ने कर दिया। कम से कम केरल के भाजपा विराधी पार्टियों के नेताओं का यही कहना है। भाजपा केरल के सभी धार्मिक समुदायों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही थी और उसी बीच विश्व हिंदू परिषद ने धर्मांतरण का अपना अभियान छेड़ दिया। इस अभियान के कारण भाजपा के गैर हिंदू समुदायों के बीच पहंुचने का प्रयास कमजोर हो रहा है।