उदाहरण के लिए बाबरी मस्जिद विघ्वंस के तुरंत बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने गुस्से में आकर भाजपा से इस्तीफा देने का मन बना लिया था। राजमाता सिंधिया ने अटल को वह कदम उठाने से उस समय रोका था और बाबरी विघ्वंस के बाद भारतीय जनता पार्टी में विभाजन होते होते बचा था।
उसके एक दशक के बाद जब लाल कृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना के पक्ष में बयान दिए थे, तब उन्हें संघ ने भाजपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को बाध्य कर दिया था। उस समय लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा के ऊपर संघ के प्रभाव के खिलाफ बयानबाजी की थी। उस समय संघ के प्रमुख के एस सुदर्शन ने आडवाणी और वाजपेयी को अपने पास बुलाकर कहा था कि वे दोनों पार्टी की अगली पीढ़ी को जगह देते हुए अपने आपको किनारे कर लें।
हालांकि इस समय संघ और भाजपा के बीच उस तरह का गंभीर तनाव नहीं है, फिर भी जो तनाव है, उसे हल्के से नहीं लिया जा सकता। इस समय तनाव के कारण हैं ’’लव जेहाद’’ और ’’घर वापसी’’ के कार्यक्रम। भारतीय जनता पार्टी सिद्धांततः लव जेहाद के खिलाफ और घर वापसी के पक्ष में चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ नहीं है, लेकिन जिस आक्रामकता के साथ ये कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, उस आक्रामकता के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी है। इसके कारण जो विवाद होते हैं, उनसे भारतीय जनता पार्टी बचना चाहती है।
इन दोनों अभियानो के साथ अब विश्व हिंदू परिषद ने ’’बहु लाओ, बेटी बचाओ’’ नाम का एक नया अभियान भी छेड़ने की घोषणा कर दी है। ये सारे अभियान केन्द्र सरकार की उदारवादी छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह छवि देश के अंदर और बाहर दोनों जगह खराब हो रही है। इनके कारण देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकते हैं, जिसके कारण भारत निवेश के लिए एक माकूल जगह नहीं रह जाएगा।
’’बहु लाओ, बेटी बचाओ’’ अभियान कथित ’’लव जेहाद’’ की प्रतिक्रिया के रूप में चलाया जा रहा है। इसके तहत मुसलमानों को धमकाया जा रहा है कि वे अपने लड़के को संभाल कर रखें और किसी हिंदू लड़की से उनकी शादी नहीं कराएं और दूसरी तरफ हिंदू युवकों को मुस्लिम लड़कियों से शादी करने के लिए प्रेरित करने के कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
इन कार्यक्रमों को चलाने के लिए शाखाओ के अंदर युवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उनके बीच अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति अविश्वास का भाव पैदा किया जाएगा। आखिर संघ और उसके संगठन इस तरह के कार्यक्रम क्यों चला रहे हैं? तो इसका कारण राम जन्म भूमि के निर्माण पर प्रतीक्षा करने का मोदी का अनुरोध हो सकता है। मंदिर मसले पर इंतजार करते हुए इस तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि मंदिरवादियों के असंतोष को दबाए रखा जा सके।
मंदिर निर्माण में हो रह देरी से असंतुष्ट संघ के लोग कोई गड़बड़ी नहीं करें, इसके लिए उन्हें यह आश्वस्त किया जा रहा है कि संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर ले जा रहा है। इसलिए उन्हें मंदिर की ओर नहीं, बल्कि कुछ और दिशा में अपने कदम बढ़ाने हैं।
कट्टरवादी कह रहे हैं कि घर वापसी कार्यक्रमों के कारण मुस्लिम आतंकवाद में कमी आएगी और और इसके कारण देश में शांति का माहौल बनेगा। वे कहते हैं कि शांति के इस माहौल में विकास के एजेंडे को आसानी से लागू किया जा सकेगा। लेकिन सचाई यह है कि तनावपूर्ण माहौल विकास के खिलाफ जाता है। (संवाद)
भारत
भाजपा और संघ के संबंधों में तनाव
मोदी का आर्थिक सुधार निर्विघ्न नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-12-30 11:34
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उससे संबद्ध संगठनों ने अपने हिंदुत्व एजेंडे के साथ जो आक्रामक रुख दिखाया है, उसके कारण भाजपा के साथ उसके संबंधों में तनाव आ गया है। यह तनाव इतना ज्यादा तो नहीं है कि इसके कारण उनके बीच संबंध टूट ही जाए, लेकिन इसके कारण एक तरह के अनिश्चय का माहौल बना रह सकता है। पहले भी भाजपा के साथ संबंधों में जब तब खटास के मामले सामने आए हैं।