सीपीआई का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन आगामी 27 फरवरी से 3 मार्च तक कोट्टायम में आयोजित होने जा रहा है। उसके पहले इस सवाल पर अटकलबाजियों का दौर चल रहा है और सीपीआई के अंदर बहस भी चल रही है।

इस पद के दो मुख्य दावेदार हैं। एक दावेदार हैं कनम राजेन्द्रन और दूसरे दावेदार हैं के ई इस्माइल। राजेन्द्रन ऐटक के अध्यक्ष हैं और इस्माइल सहायक सचिव हें। इन दोनों के बीच इस पद के लिए जबर्दस्त संघर्ष चल रहा है।

यह इसलिए संभव हो रहा है, क्योंकि वर्तमान सचिव पी रवींद्रन ने पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व को कह रखा है कि वे अपने पद पर अब दुबारा नहीं रहना चाहते हैं।

राजेन्द्रन इस पद के लिए अपनी दावेदारी करेंगे, यह उसी समय जाहिर हो गया था, जब ऐटक सचिव के रूप में बने रहने से साफ इनकार कर दिया था। अंत में वे प्रदेश ऐटक के अध्यक्ष बनकर ही रहे।

पहली बार प्रदेश में ऐटक का एक कार्यकारी अध्यक्ष होगा। कनन राजेन्द्रन के अनुरोध पर ही इस पद का सृजन किया गया है। केन्द्रीय नेतृत्व ने उनके अनुरोध को इस तथ्य के बावजूद स्वीकार किया कि अब तक इस तरह की व्यवस्था का कोई उदाहरण नहीं रहा है। पी रवींद्रन को प्रदेश सचिव केन्द्र के अनुरोध पर ही बनना पड़ा था।

दरअसल पूर्व प्रदेश सचिव सी के चन्द्रप्पन के निधन के समय यह पद जब खाली हुआ था, तो उस समय भ के राजेन्द्रन ने उस पर दावा पेश किया था, लेकिन तब उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी उसके कारण ही रवींद्रन को सचिव बनने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने कहा था और राजेन्द्रन को एैटक का सचिव बना दिया गया था।

इस बार प्रदेश सचिव बनने के लिए कनक राजेन्द्रन सारे तरीके अपना रहे हैं। किसी भी मोर्चे पर उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने अपने पक्ष में उन सभी नेताओं को कर लिया है, जो कभी चंद्रप्पन के बहुत करीबी हुआ करते थे।

लेकिन कनम के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना बहुत कम है। इसका कारण के ई इस्माइल के समर्थकों का संकल्प है, जो चुनाव करवाने पर भी उतारू हो जाएंगे। इस्माइल ने अपने आपको उस समय से ही पीछे रख रखा है, जब चंद्रप्पन प्रदेश सचिव थे। अब चंद्रप्पन परिदृश्य में कहीं नहीं हैं और इसलिए इस्माइल ने अपने आपको केन्द्र में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्हें भी अनेक नेताओं का समर्थन मिल रहा है। उनको समर्थन दे रहे नेताओं में विधायक वी एस सुनील कुमार, पी एस सुपाल, लता देवी और वी पी उन्नीकृष्णन भी शामिल हैं।

सीपीआई के संसदीय दल के नेता सी दिवाकरण एक मजबूत दावेदार हो सकते थे। लेकिन बेनेट अब्राहम की उम्मीदवारी के मामले में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत की गई थी। उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। अब देखना यह होगा कि दिवाकरन के समर्थक सचिव चुनाव में किसे समर्थन देते हैं। (संवाद)