मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच ही है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार में भाजपा आआपा पर और आआपा भाजपा पर प्रहार के रहे हैं। प्रचार के दौरान कांग्रेस की चर्चा बहुत कम की जा रही है। हां, भारतीय जनता पार्टी के नेता जरूर कह रहे हैं कि दिल्ली में मुकाबला त्रिकोणात्मक है और कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच हुए मतों के बंटवारे का फायदा उसे होगा।

चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पर करारा हमला करते हुए उनके बिजली आपूर्ति करने वाली अंबानी की कंपनी से सांठगांठ का आरोप लगाया है। आरोप के अनुसार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की एक कंपनी ने बिजली आपूर्ति कंपनी बीएसइएस के लिए बिजली मीटर बदलने का ठेका लिया था।

दिल्ली में बिजली का मुद्दा चुनावी दृष्टि से काफी संवेदनशील है। दिल्ली के लोगों की शिकायत है कि ये मीटर तेज चलते हैं और तेज चल रहे मीटरों के कारण प्रत्येक महीने अरबों रुपये बिजली कंपनियों की जेब में जा रहे हैं। दिल्ली की तेज मीटरों के लिए भाजपा प्रदेश सतीश उपाध्याय पर सीधे आरोप लगाकर केजरीवाल ने अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर एक बहुत बड़ा हमला किया है, जिसके कारण चुनाव में भाजपा को काफी नुकसाना उठाना पड़ सकता है।

सतीश उपाध्याय ने अंबानी की कंपनी के साथ काम करने की बात स्वीकार भी कर ली है और इस तथ्य को रेखांकित करते हुए केजरीवाल के आरोप को कमजोर करने की कोशिश की है कि 2012 के बाद से उनका अंबानी की कंपनी से कोई संबंध नहीं रहा है। लेकिन दिल्ली के लोगों को पता है कि पहले से लगे सारे मैन्युअल मीटर को इलेक्ट्रानिक मीटरों से बदले जाने का काम 2012 के पहले ही पूरा हो चुका था। गौरतलब है कि निजीकरण के पहले बिजली के मैन्युअल मीटर हुआ करते थे और निजीकरण के बाद निजी कंपनियों ने उन्हें इलेक्ट्रानिक मीटरों से बदल डाला। उपभोक्ताओ की आम शिकायत है कि नये मीटर तेज भागते है और उसके कारण उन्हे ज्यादा बिजली बिल देना पड़ता है।

2012 से पहले अंबानी की बिजली कंपनी के लिए काम करने की बात स्वीकार कर सतीश उपाध्याय ने केरजरीवाल के आरोपों की पुष्टि कर डाली है। अब तो दिल्ली की राजनीति में चर्चा यह भी हो रही है कि दिल्ली प्रदेश भाजपा का आध्यक्ष सतीश उपाध्याय को अनिल अंबानी के कहने पर ही बनाया गया। यह चर्चा भाजपा के अंदर भी हो रही है, जिसके कारण भाजपा कार्यकत्र्ताओं मे हताशा का माहौल भी बन रहा है।

गौरतलब है कि सतीश उपाध्याय का दिल्ली प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने पर दिल्ली भाजपा के लोग भी अचंभित हो गए थे, क्योंकि उसके पहले पार्टी के अंदर उनकी कोई खास भूमिका नहीं थी। वे एक वार्ड पार्षद थे और आज भी हैं। रमेश विधूड़ी जैसे तेज तर्रार नेताओं को छोड़कर सतीश उपाध्याय को प्रदेश का अध्यक्ष क्यों बनाया गया, इसका कोई कारण किसी को समझ में नहीं आ रहा था। अब लोगों को समझ में आ रहा है कि अनिल अंबानी के कारण उन्हें प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया।

उन्हें दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बनाया था। अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में बहुत हड़बड़ी के साथ उन्हें प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया था। राजनाथ सिंह चाहते थे कि अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ही सतीश दिल्ली प्रदेश बन जायं और उन्होंने वैसा कर भी दिया।

केजरीवाल के इस आक्रमण की तोड़ यदि भाजपा ने नहीं निकाली, तो उसके लिए यह भारी पड़ सकता है, क्योंकि बिजली के तेज चलने वाले मीटर दिल्ली के मतदाताओं के लिए बहुत ही संवेदनशील मुद्दा हैं। (संवाद)