सबसे ताजा गलती भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र लाकर न की है। घोषणा पत्र की जगह उसने एक विजन दस्तावेज पेश किया है। घोषणा पत्र न लाने का कारण बताया जा रहा है कि अनेक मसलों पर भाजपा खुल कर लाइन नहीे लेना चाहती। उन मसलों मे एक दिल्ली का पूर्ण प्रदेश का मसला देना है।

गौरतलब है कि दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है और यहां की प्रदेश सरकार को बहुत ही सीमित अधिकार प्राप्त हैं। दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के पास है। भूमि और डीडीए भी केन्द्र सरकार के पास ही है। दिल्ली नगर निगम एक स्वायत्त संस्था है, जो खुद चुनाव से गठित होती है। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि दिल्ली की प्रदेश सरकार के पास दिल्ली नगर निगम जितना अधिकार भी नहीं है।

विपक्ष में रहकर भाजपा दिल्ली को पूर्ण प्रदेश का दर्जा देने की मांग करती रहती थी। अब यदि अपने घोषणा पत्र में वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वायदा करती है, तो इस वायदे को पूरा न होने के लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती, क्योंकि केन्द्र में उसी की सरकार है और पूर्ण राज्य बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास ही है। यही कारण है कि भाजपा घोषणा पत्र से बचकर पूर्ण राज्य के मसले पर भी बचने की कोशिश कर रही है।

बिजली बिल के मसले पर भी भाजपा साफ साफ राय नहीं व्यक्त कर रही है। ज्यादा बिजली बिल और तेज मीटर दिल्ली वासियों की समस्या है। आम आदमी पार्टी बिजली बिल को आधा करने का वायदा कर रही है और मीटरों की जांच करवाने की बात भी कर रही है। बिजली कंपनियों की आॅडिट कर उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना भी उसके वायदों में शामिल है।

पर भाजपा इस मसले पर भी साफ राय नहीं रख पा रही है प्रधानमंत्री ने अपने एक भाषण में कहा था कि बिजली उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया जाएगा कि बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी का चुनाव अपनी इच्छा के अनुसार करें। उसी बात को भाजपा ने अपने विजन के दस्तावेज में शामिल किया है। लेकिन इसका कोई असर मतदाताओं पर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि यह कब होगा और इससे उन्हें कोई लाभ होगा भी या नहीं इसका पता नही चल पा रहा है।

पानी के मसले पर भी भाजपा को वायदा नहीं करना चाहती। जल वितरण में दिल्ली में भारी अराजकता है। दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा जल लाइन से वंचित है और वहां के लोग पानी माफिया से पानी खरीद कर पीते हैं। पानी की रेट भी बढ़े हुए हैं और पता नहीं चलता कि रोजाना आपूर्ति होने वाला पानी कौन पी रहा है। आम आदमी पार्टी ने 20 हजार लीटर प्रति महीना मुफ्त पानी देने के अलावा वाटर माफिया को समाप्त करने और पूरी दिल्ली में पानी का पाइप प्राथमिकता से बिछाने का वायदा किया है। भारतीय जनता पार्टी का इस मसले में भी राय गोलमोल है और इसके कारण ही वह घोषणा पत्र लाने से बच गई।

भाजपा ने दिल्ली को विश्वस्तरीय महानगर बनाने का वायदा तो कर दिया है, लेकिन जो लोग दिल्ली में रह रहे हैं उन्हें बिजली और पानी की मूलभूत सुविधा कैसे मिले, इसके बारे में स्पष्ट नहीं है। जाहिर है, भाजपा मध्यवर्ग को रिझाने की कोशिश कर रही है और समस्या ग्रस्त दिल्ली के लिए उसके पास एक ऐसा विजन है, जिसे समस्याग्रस्त लोग समझ ही नहीं सकते।

यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं और समर्थकों की बांछें खिली हुई हैं और उन्हें लगता है कि 10 फरवरी को उनके पक्ष में ही फैसला आने वाला है। (संवाद)