लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी के लिए अच्छे दिन आने के वायदे किए थे। लेकिन उनकी सरकार के 9 महीने पूरे होने को हैं और आम आदमी को अच्छे दिन आते दिखाई नहीं दे रहे हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम जरूर हुई हैं, लेकिन उसकी वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का कम हो जाना। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के अनुपात में भारत में डीजल और पेट्रोल की कीमतें जितनी कम होनी चाहिए थीं, उतनी कम नहीं हुई हैं।
आने वाले दिनों में मोदी सरकार का पहला पूर्ण बजट आएगा। देश और दुनिया की निगाहें उस बजट की ओर लगी हुई हैं। पिछले साल का बजट पूरे साल के लिए नहीं था और वह पिछली सरकार के बजट का ही विस्तार था। उसमें मौलिकता नहीं थी। उसे बनाने के लिए पर्याप्त समय भी सरकार के पास नहीं थे, क्योंकि सरकार गठन के तुरंत बाद ही संसद का सत्र शुरू हो गया था और कम समय में ही बजट तैयार किया जाना था।
आर्थिक नीतियों के मसले पर मोदी सरकार अपनी पिछली सरकारों से अलग रवैया नहीं अपना रही है। वह उसी के कदमों पर चल रही है। फर्क यह है कि जिसे पिछली सरकार तैयार नहीं कर पा रही थी, उसे यह सरकार तैयार करवा रही है और उसके लिए अध्यादेश का सहारा भी लिया जा रहा है। विकास की दर में भी कोई इजाफा नहीं हुआ है।
मोदी सरकार देश के भूमंडलीकरण की नीति को तेजी से आगे बढ़ा रही है। विकास के लिए विदेशी निवेश पर वह निर्भर होना चाहते हैं और इसके लिए मेक इन इंडिया का नारा दिया है, जिसके तहत भारी पैमाने पर विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। वायदा किया जा रहा है कि विदेशी निवेशकों को भारत में उत्पादन के लिए अच्छा माहौल मिलेगा।
विकास दर को मापने का आधार वर्ष बदल दिया गया है। जिसके कारण पिछले साल और चालू साल की विकास दर के आंकड़े बदल गए हैं। बदले हुए आधार पर इस साल करीब साढ़े सात फीसदी विकास दर की उम्मीद की जा रही है। यह अनुमान ही है, असली तस्वीर बजट पेश करने के पहले पेश किए जाने वाले आर्थिक सर्वे से पता चलेगा।
आगामी बजट में कर संरचना पर भी लोगों की नजर रहेगी। जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज) टैक्स लागू करने का समय 1 अप्रैल, 2016 कर दिया गया है। देखना है कि उस समय से वह लागू हो भी पाता है या नहीं, क्योंकि उसका लागू होना ज्यादा राजस्व उगाही के लिए जरूरी है, ताकि राजकोष के घाटे को तीन फीसदी तक रखा जा सके।
दिल्ली में भाजपा को मिली करारी हार का संदेश यह है कि लोगों के पास अब धैर्य नहीं बचा है और अच्छे दिन के लिए वह बहुत दिनों तक इंतजार करने को तैयार नहीं हैं। उन्हे जल्द से जल्द नतीजा चाहिए। वित्त मंत्री को अगला बजट पेश करते समय इस तथ्य का ध्यान रखना होगा। (संवाद)
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दिल्ली चुनाव से मोदी को लेनी होगी सबक
अगले बजट को बनाना होगा लोकलुभावन
एस सेतुरमण - 2015-02-14 19:05
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने नरेन्द्र मोदी को भारी झटका दिया है। नौ महीना पहले ही उनकी देश में तूती बोल रही थी। राष्ट्रीय राजधानी में भी भाजपा को शानदार सफलता मिली थी। पर इस चुनाव में भाजपा का सूफड़ा पूरी तरह साफ हो गया। दिल्ली प्रदेश बहुत छोटा है और यह एक पूर्ण प्रदेश भी नहीं है। इसके बावजूद यह देश की राजनीति के लिए बहुत ही संवेदनशील है। भाजपा की इस केन्द्र शासित प्रदेश में हार ने उसकी विरोधी पार्टियों मे भी आशा का संचार किया है और उन्हें यह सोचने का मौका दिया है कि भाजपा को हराया जा सकता है।