राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के महासचिव दीपक सक्सेना के अनुसार पिछले 10 सालों में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 15 हजार मारपीट की घटनाओं की शिकायत दर्ज की गई है। यह शिकायतें पुलिस समेत अनेक स्तरों पर दर्ज हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इनमें से अधिकांश घटनाएं सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं से ही संबंधित हैं।
राघोगढ़ में अभी हाल ही में इस तरह की एक घटना हुई। राघोगढ़ गुना जिले में है। वहां भाजपा लोकसभा सांसद और उनके समर्थकों ने एक एसडीएम रिंकेश वैश्य पर हमला किया।
वैश्य और उनके सहयोगियों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, पर पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं किया।
मध्यप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा संघ में पटवारी से लेकर ऊपर आइएसएस अधिकारियों के अलावा सभी अफसर शामिल हैं। उन्होंने धमकी दी है कि यदि हमलों को नहीं रोका गया और दोषी लोगों को सजा नहीं दी गई, तो वे सीधी कारवाई करने को बाध्य होंगे। सांकेतिक रूप से उन्होने एक दिन की हड़ताल रखने का उन्होंने फिलहाल निर्णय किया है।
हड़ताल के ठीक पहले संघ ने कहा है कि प्रदेश में कहीं न कहीं प्रत्येक दिन सत्तारूढ़ दल के नेता और कार्यकर्ता अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमला कर रहे हैं। वे गाली गलौज करते हैं और कभी कभी मारपीट भी करते हैं। अपनी अवैध मांगों को पूरा करने के लिए वे ऐसा किया करते हैं। यदि वे गलत काम करते हुए पकड़े जाते हैं, तब भी वे हिंसक हो जाते हैं। जब अफसर उनके खिलाफ कार्रवाई करने लगते हैं, तो वे हमलावर रुख अपना लेते हैं। संघ ने अनेक ऐसे उदाहरण पेश किए, जब भाजपा के नेता कार्यकत्र्ताओं ने इस तरह की हरकतें की थीं
जब मोरैना में स्थानीय एसडीएम राजेश राठौर ने अवैघ खनन में लिप्त भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की तो उनके ऊपर हिंसक हमले हुए। बहुत मुश्किल से उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। रवि शंकर राय नाम का विदिशा स्थित तहसीलदार और हारदा में एक महिला तहसीलदार पर भी हमले हुए। संघ का दावा है कि इस तरह के हजारों हमले हुए हैं।
संघ के अधिकारियों ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं लेती और सरकार अपनी तरफ से अधिकारियों को संरक्षण नहीं देती। संघ ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता और कार्यकत्र्ता किसी भी कीमत पर अपना काम करवाना चाहते हैं। यदि उन्हें लगता है कि उनका काम नहीं होगा, तो वे बहुत ही हिंसक तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं।
संघ ने चेतावनी दी है कि 18 फरवरी को राज्य भर में पूर्ण बंदी रहेगी और प्रशासन का पूरा काम ठप्प हो जाएगा। उसका कहना है कि यदि इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी, तो वे हाई कोर्ट में मामले को ले जाएंगे।
वे हाई कोर्ट में 15 हजार मामलों को विस्तार से पेश करेंगे। वे हाई कोर्ट से प्रार्थना करेंगे कि सरकार से इसके बारे में कैफियत तलब की जाय। उनसे इन अधिकारियो की प्रतिष्ठा बचाने के लिए किए जा रहे कामों के बारे में जानकारी हासिल की जाय। संघ का कहना है कि सरकारी कर्मचारी सत्तारूढ़ पार्टी के गुलाम नहीं हैं, बल्कि राज्य के अंग हैं।
संघ के सदस्यों को आइएएस अधिकारियों से भी शिकायतें हैं। उनका कहना है कि आइएएस अधिकारी उनकी समस्याओं पर चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने बताया कि वे कई बार मुख्यमंत्री से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन वहां से उनको राहत नहीं मिली है। यही कारण है कि उन्हें हडताल करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। (संवाद)
भारत: मध्यप्रदेश
भाजपा नेताओं से नौकरशाही परेशान
खनिज माफिया के गुस्से का सामना कर रहे हैं ईमानदार अफसर
एल एस हरदेनिया - 2015-02-16 13:31
भोपालः मध्यप्रदेश के सारे गैर आइएएस अधिकारी गुस्से में हैं। इसका कारण भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के द्वारा उनके साथ किया जा रहा बुरा बर्ताव है। अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर हिंसक हमले तक हो रहे हैं। वे 18 फरवरी को इसके खिलाफ एक दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं। उन्होंने अपने विरोध का नाम रखा है "पूर्ण बंदी’’। पटवारी से लेकर ऊपर टाॅप तक के अधिकारी हड़ताल पर होंगे।