अखिलेश यादव को यह पता है कि प्रदेश का सर्वांगीन विकास ही 2017 में उन्हें दूसरी बार सत्ता में बैठा सकती है। यही कारण है कि अपनी सरकार के गठन की तीसरी वर्षगांठ को उन्होंने ’’विकास दिवस’’ का नाम दिया।
2012 की विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था। उस चुनाव में पार्टी का मुख्य चेहरा अखिलेश यादव ही थे। समाज के सभी वर्गों के लोगों ने उन्हें समर्थन देकर पार्टी की सरकार बनाई थी। आज उनके सामने दो सबसे बड़ी समस्या कानून व्यवस्था और बिजली की कमी है। इन दोनों मसलों पर वे खास ध्यान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने अगले साल के बजट में बिजली सेक्टर के लिए भारी वित्तीय बंदोबस्त किया है। प्रदेश में बिजली के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन का उनका लक्ष्य है और इसके लिए वे निजी सेक्टर को भी शामिल कर रहे हैं।
कानून व्यवस्था की खराब स्थिति सपा सरकार के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है। आरोप लगता है कि पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों के अपराध के मामले में सुस्ती बरतती है।
इन आरोपों का सामना करते हुए मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के लोगों को बार बार आगाह करते रहते हैं कि वे आपराधिक गतिविधियों से अपने आपको दूर रखें। उन्हें चेतावनी भी दी जाती है कि अपराधों में संलग्ल पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। 3 साल के अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होंने पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा के उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी। 11 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव हुए थे। उन सबपर 2012 में भाजपा के प्रत्याशी जीते थे। लोकसभा चुनाव जीतकर वे विधायक सांसद बन गए। उसके कारण वे सीटें खाली हुई थी। लेकिन लगभग सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार जीत गए। इसके कारण अखिलेश यादव का राजनैतिक सितारा और भी बुलंद हो गया।
उधर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत से उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के हौसले बुलंद हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की मुख्य प्रतिस्पर्धी बहुजन समाज पार्टी हुआ करती है। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसका जनाधार खिसक कर भाजपा की ओर जाता दिखाई पड़ा। इसके कारण बसपा में मायूसी का माहौल है।
लोकसभा की 80 में से 73 सीटें जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी के हौसले बहुत बुलंद थे, लेकिन उपचुनावों में हार के बाद उनके हौसले में जो कमी आई थी, वह अभी भी बरकरार है। अपनी जीत के प्रति अब वे बहुत आश्वस्त नहीं हैं।
भारतीय जनता पार्टी में मुस्लिम विरोध की राजनीति को लेकर भी मतभेद बना हुआ है। अनेक भाजपा नेता मुस्लिम विरोध की राजनीति का विरोध कर रहे हैं और घर वापसी जेसे मसले को बढ़ावा देना नहीं चाहते। लेकिन कुछ नेता इसे छोड़ने को तैयार नहीं दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर रणनीति को लेकर भाजपा में भ्रम बना हुआ है। (संवाद)
अखिलेश यादव अपने विकास एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं
उपचुनावों के बाद भाजपा पिछड़ती जा रही है
प्रदीप कपूर - 2015-03-17 12:29
लखनऊः अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा की कि उनकी सरकार चालू परियोजनाओं को आगामी दो सालों में पूरा कर लेगी।