राष्ट्रपति बनने के बाद श्री गनी की यह पहली भारत यात्रा है। पिछले साल वे हामिद करजई की जगह वहां के राष्ट्रपति बने थे। पिछले दिनों काठमांडू में हुए दक्षेस के सम्मेलन में श्री मोदी की मुलाकात श्री गनी से हुई थी। उसी मुलाकात में श्री मोदी ने उन्हें भारत आने का आमंत्रण दिया था। गनी के भारत आने के बाद भारत के प्रधानमंत्री के साथ उनकी विस्तार से वार्ता होगी।

भारत के लोगांे को लग रहा था कि श्री गनी भारत के प्रति वह झुकाव नहीं रखते, जिस तरह का झुकाव हामिद करजई रखते थे। इसका कारण यह था कि श्री गनी को पाकिस्तान समर्थक माना जाता है। पर पिछले सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा था कि सीमा पा आतंकवाद को लेकर भारत की चिंता से उनकी भी सहमति है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे भारत के हितों को नुकसान पहुंचता हो और उन्होंने यह भी जोड़ा था कि वह पाकिस्तान को भी समझाएंगे कि आतंकवादियों के खिलाफ संघर्ष में वह भारत का साथ दे। उन्होंने बातचीत में कहा था कि उनके पाकिस्तान समर्थक होने के बारे में की जा रही बातों से किसी तरह का भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए।

श्री गनी ने तब कहा था कि उनके लिए पाकिस्तान और भारत दोनों से बेहरत संबंध रखना जरूरी है और वह इसी दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। भारत के अधिकारी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति की उन बातों से थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध कैसे रहते हैं, इसके लिए अफगानी राष्ट्रपति की भारत यात्रा का इंतजार किया जा रहा है।

मार्च महीने में भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने काबुल जाकर वहां के राष्ट्रपति से बातचीत की थी। उस बातचीत में सुरक्षा और अफगानिस्तान के विकास को लेकर बातें हुई थी। तालिबान के साथ बातचीत को लेकर भी भारतीय विदेश सचिव जानना चाह रहे थे। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत अफगानिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर आशावादिता दिखाइ्र्र थी भारत को अपनी पसंद का देश बताया था।

भारत अफगानिस्तान को पहले से भी मदद कर रहा है। वह अफगानिस्तानी सेना और पुलिस को वहां प्रशिक्षण देने का काम कर रहा है। उसने अफगानिस्तान को तीन हेलिकाॅप्टर भी दे रखा है। अफगानिस्तान के अन्य अनुरोध को मानने के लिए भी भारत तैयार है, लेकिन वह जानना चाहेगा कि नये राष्ट्रपति की तालिबान नीति क्या है।

इस समय तो अफगान सरकार ने तालिबान के साथ संपर्क बना रखा है, लेकिन उसके साथ औपचारिक बातचीत होनी अभी बाकी है। भारत अफगानिस्तान के पुनर्निमाण में सहायता कर रहा है। तालिबान को सत्ता से हटाने में भी भारत ने अफगानिस्तान की सहायता की थी। अब तक भारत अफगानिस्तान को दो अरब डाॅलर की सहायता कर चुका है।

अफगानी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अफगानिस्तान के लिए एक आर्थिक पैकेज की घोषणा कर सकते हैं। वह अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत की पड़ोस नीति को लेकर प्रभावित करने की कोशिश करने वाले हैं।

भारत के अधिकारियों को लगता है कि वर्तमान साल अफगानिस्तान के लिए बहुत ही नाजुक साल साबित होने वाला है और इसके कारण श्री गनी को काफी समझबूझ का परिचय देना होगा। उन्हें अमेरिका, भारत और पाकिस्तान को अपने साथ लेकर चलना होगा। (संवाद)