सेमिनार के आमंत्रण पत्र में कहा गया था कि गोष्ठी में कुंभ मेला के पीछे की मान्यताओं की पहचान की जाएगी और उसका उसमें विश्लेषण किया जाएगा। गौरतलब है कि अगले साल उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। यह कुंभ मेला प्रत्येक 12 साल में लगता है। इस मेले के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 300 करोड़ रुपया आबंटित किया है। उसके अलावा केन्द्र सरकर ने भी इसके लिए 100 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान कर रखा है।
मान्यताओं और मूल्यों की सूची में वही सब शामिल है, जो हिन्दू धर्म का है। इस गोष्ठी के प्रायोजक इस बात को भूल गए कि भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों ने शपथ ली है कि वे संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने का काम करेंगे और संविधान धर्मनिरपेक्षता के मूल्य में विश्वास करता है। इस गोष्ठी के आयोजन के बाद यह सवाल सहज रूप से उठता है कि क्या सरकार धार्मिक कार्यों के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल कर सकती है। भारत में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। इसलिए धर्म निरपेक्षता का तकाजा यह है कि यदि सरकार किसी एक धर्म के प्रचार पर खर्च करती है तो वह अन्य धर्माें के प्रचार के लिए भी कोष उपलब्ध कराए। पर क्या सरकार ऐसा करेगी?
यह सच है कि हम धार्मिक मूल्यों से बंधे रहते हैं, लेकिन हमने आजादी की लड़ाई दौरान और उसके बाद बने संविधान के मूल्यों का भी ध्यान रखना है। भारतीय राष्ट्र इन्हीं मूल्यों पर आधारित है। पर तीन तक हुए सेमिनार में इन बातों पर कोई चर्चा नहीं हुई।
भोपाल से छपने वाले एक अंग्रेजी अखबार ने प्रदेश की राजधानी में हुए इस सेमिनार के औचित्य पर सवाल खड़ा किया है। उस सेमिनार में यह भी घोषणा की गई है कि आने वाले दिनों मंे इस तरह के और भी सेमिनार होंगे, जो कंुभ से संबंधित मूल्यों का प्रचार प्रसार करेंगे। ये सेमिनार कुंभ शुरू होने के पहले, कुुंभ के दौरान और कुभ के समाप्त होने के बाद भी होंगे। 100 ऐसे लोगों की सूची बनाई गई है और उसे सार्वजनिक किया गया है, जो इन मसलों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे।
सेमिनार में शामिल होने वाले लोगों की जो सूची है, उनमें दीनानाथ बत्रा भी शामिल हैं। गौरतलब हो कि दीनानाथ बत्रा ने मांग की है कि भारतीय विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों में इस बात को शामिल किया जाय कि प्राचीन भारत में हवाई जहाज उड़ा करते थे और राम तथा कृष्ण ऐतिहासिक पुरुष हैं। दीनानाथ बत्रा का सूची में शामिल करना यह साफ कर देता है कि इस तरह के सेमिनारों के आयोजन का मकसद क्या है।
जाहिर है, इस तरह का आयोजन प्रदेश सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खुश करने के लिए कर रही है।
आरएसएस भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक गुरू है और किसी भी भाजपा नेता के लिए उसके सामने नतमस्तक होना स्वाभाविक है। भाजपा के अधिकांश नेता अपने बचपन से ही आरएसएस के साथ जुड़े रहे हैं।
होने वाले सेमिनारों में आरएसएस से जुड़े लोग तो शामिल होंगे ही, विदेशों से भी वक्ताओं को आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दिया जा सके। (संवाद)
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भोपाल में हिंदू मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए सेमिनार
भाजपा कर रही है मध्यप्रदेश का धार्मिक विभाजन
एल एस हरदेनिया - 2015-04-25 17:39
भोपालः मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले 17 अप्रैल से 19 अप्रैल तक तीन दिनों का एक सेमिनार आयोजित किया, जिसका मकसद था हिन्दू मूल्यों को बढ़ावा देना। सरकार ने यह सेमिनार दिल्ली स्थित संगठन ’’शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’’ माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान के साथ मिलकर आयोजित किया।