राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व और संघ परिवार नरेन्द्र मोदी के जादू के कम होते जाने के कारण बहुत परेशानी का सामना कर रही है।
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश मंे विधानसभा के लिए 15 उपचुनाव हुए। उन उपचुनावो में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। उसके कारण उत्तर प्रदेश के नेता के भाजपा नेता ही नहीं, बल्कि अमित शाह भी बहुत चिंतित हो गए हैं। गौरतलब हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा और उसका सहयोगी अपना दल ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 71 सीटों पर तो खुद भाजपा के उम्मीदवार ही जीते थे।
प्रदेश नेतृत्व इस बात को लेकर भी चिंतित है कि जनता को दिखाने के लिए कोई उपलब्धि भी उसके पास नहीं है। सांसद अपने लोकसभा क्षेत्रों में काम नहीं कर रहे हैं और इसके कारण उनके खिलाफ जन असंतोष बढ़ता जा रहा है। भाजपा के सांसद खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। बलिया के सांसद भरत सिंह ने तो खुलेआम इस बात को स्वीकार किया है।
इतना ही नहीं मोदी सरकार के मंत्री भी अपने लोकसभा क्षेत्रों में कुछ कर नहीं रहे हैं। दरअसल नरेन्द्र मोदी ने सत्ता को अपने हाथों में केन्द्रित कर रखा है और मंत्रियों की जगह वह मंत्रालयों के सचिवों से सीधे बात कर निर्णय करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।
यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने मथुरा को अपनी सरकार की वर्षगांठ मनाने की सभा का स्थल चुनने का फैसला किया। मथुरा भाजपा के संस्थापक दीन दयाल उपाध्याय की जन्मभूमि है। भाजपा मथुरा मे मोदी की सभा करवा कर यह दिखाना चाहती है कि दीनदयाल के आदर्शों पर पार्टी अडिग है। संघ के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत देना भी इसका एक उद्देश्य है।
इसके साथ साथ पार्टी अपने हिन्दुत्व एजेंडे को लेकर भी अपने समर्थक जनाधार को आश्वस्त करना चाहती है। अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में मंदिर बनवाना भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है। मथुरा कृष्ण की जन्मभूमि है और यहां अपनी सभा कर मोदी यह साबित करना चाहते हैं कि हिन्दुत्व एजेंडे का उन्होंने त्याग नहीं किया है।
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होना है। उसके अब दो साल भी नहीं रहे गए हैं। मथुरा में सभा कर मोदी और उनका दल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एजेंडा सेट करना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास नरेन्द्र मोदी जैसा कोई करिश्माई नेता भी नहीं है। उसने कोई अन्त्योदय मिशन भी नहीं चला रखा है, जिसके द्वारा वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सके। इसलिए घूमफिर कर वह एक बार फिर मंदिर के मुद्दे को ही चुनाव में भुनाना चाहती है।
विश्व हिंदू परिषद के नेता पहले से ही अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए बयानबाजी करते आ रहे हैं।
हाल ही में भारतीय युवा मोर्चा की अयोध्या में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। उस बैठक में रामभूमि के निर्माण के मसले का उठाया गया।
पिछले एक साल से गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ, एक अन्य सांसद साक्षी महाराज और कुछ साध्वियां लव जेहाद, घर वापसी और ज्यादा बच्चे पैदा करने की मांग उठाते रहे हैं। केन्द्रीय नेतृत्व ने इन मुद्दों को उठाने के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की है। (संवाद)
भारत: उत्तर प्रदेश
भाजपा फिर हिन्दुत्व की ओर बढ़ सकती है
मोदी मैजिक कम होने से भाजपा नेता चिंतित
प्रदीप कपूर - 2015-05-25 16:48
लखनऊः क्या भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर हिन्दुत्व के अपने पुराने एजेंडे पर उत्तर प्रदेश में वापस आ रही है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी सरकार के एक साल पूरे होने पर अपनी जनसभा के लिए मथुरा को चुने जाने पर यह सवाल उठना स्वाभाविक है।