गौरतलब हो कि वित्तमंत्री के एम मणि पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और उनपर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। उन पर बार मालिकों के संगठन से घूस लेने का आरोप है। उनके खिलाफ कभी भी आरोप पत्र भी दाखिल किया जा सकता है।
के एम मणि को वित्तमंत्री के पद से हटाने के लिए विपक्ष लगातार आंदोलन कर रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री चांडी उन्हें सरकार से बाहर करने का साहस नहीं जुटा रहे हैं। उल्टे वित्तमंत्री के प्रति उन्होंने नरम रवैया अपना रखा है।
हद तो तब हो गई, जब मणि ने कहा कि यदि उनके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल हो जाय, तब भी वित्त मंत्री के अपने पद से वे इस्तीफा नहीं देंगे।
वित्तमंत्री द्वारा मणि के प्रति नरम और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाए जाने पर उनकी ही पार्टी का चेनिंथाला गुट उबलता नजर आ रहा है। रमेश चेनिंथाला खुद सरकार में मंत्री हैं और प्रदेश कांग्रेस के अंदर वे काफी शक्तिशाली भी हैं।
उनके गुट का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा मणि को मिल रहे समर्थन के कारण लोगों के बीच कांग्रेस के बारे में खराब छवि बन रही है। इस साल प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव हैं और अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। उनका कहना है कि चांडी द्वारा मणि के समर्थन के कारण पार्टी को इन चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दूसरी तरफ चांडी मणि को नाराज नहीं करना चाहते। इसका कारण यह है कि मणि की पार्टी में 8 विधायक हैं और नाराज किए जाने पर यदि मणि ने समर्थन वापस लिया, तो चांडी की सरकार ही गिर जाएगी।
यानी चांडी की प्राथमिकता अपनी सरकार बचाने की है और इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके कारण कांग्रेस की छवि कैसी हो रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके लिए अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा करना है और इसके लिए वे के एम मणि के प्रति नरम रवैया अपना रहे हैं, क्योंकि मणि से साफ साफ कह दिया है कि यदि उनको सरकार से बाहर किया गया, तो सरकार के लिए यह कदम बेहद खतरनाक होगा। संदेश स्पष्ट है। यदि मणि सरकार से बाहर हटे, तो सरकार ही गिर जाएगी। और मुख्यमंत्री चांडी नहीं चाहते कि उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही गिर जाए।
मुख्यमंत्री चांडी ही नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन का भी यही कहना है कि मणि को नाराज नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे यूडीएफ की सरकार गिर जाती हो।
उधर के एम मणि की स्थिति और भी खराब होती दिखाई पड़ रही है। पुलिस ने एक गवाह को झूठ पकड़ने वाली मशीन के सामने बुलवाया। उस टेस्ट में भी गवाह ने यही कहा कि उसके सामने मणि को बार मालिकों ने 35 लाख रुपये दिये थे। झूठ पकड़ने वाली मशीन ने गवाह के उस दावे को सही करार दिया। उस गवाह से 15 सवाल पूछे गए थे। मशीन ने उसके 13 जवाबों को सही पाया।
इस टेस्ट के बाद कांग्रेस के साथ मणि का संबंध और भी खराब हो गया है। मणि और उनके समर्थकों को इस बात पर आपत्ति है कि इस टेस्ट की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों किया गया। सच यह है कि यह आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं की गई है, बल्कि इसे लीक किया गया है। मणि के समर्थकों को शक है कि ऐसा गृहमंत्री रमेश चेनिंथाला ने किया है। (संवाद)
केरल प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी तेज
मणि के प्रति चांडी के नरम रुख पर चेनिंथाला गुट नाराज
पी श्रीकुमारन - 2015-05-28 15:35
तिरुअनंतपुरमः केरल प्रदेश कांग्रेस में गुटों के बीच तनाव तेज हो गया है। इसका कारण मुख्यमंत्री चांडी को वित्तमंत्री के एम मणि के प्रति अपनाया जा रहा नरम रवैया है।