सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के पास अखिलेश यादव जैसा मजबूत नेता है और बहुजन समाज पार्टी के पास मायवती जैसी स्थापित नेता है। वे दोनों एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के पास उन दोनों के कद के बराबर का कोई नेता नहीं है।
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने सहयोगी अपन दल के साथ प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन उसके बाद हुए उपचुनावो में पार्टी को एक के बाद एक हार का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले एक साल के दौरान भाजपा पूरी तरह से भ्रम की शिकार हो गई है। उसे पता नहीं चल पा रहा है कि वह मोदी की उपलब्धियो के नाम पर वोट मांगे या हिन्दुत्व के नाम पर।
केन्द्रीय नेतृत्व से किसी निर्देश के अभाव में महंत आदित्यनाथ और साक्षी महाराज जैसे नेता लगातार हिन्दुत्व की राजनीति करते हुए कभी घर वापसी अभियान चलाने की बात करते हैं, तो कभी हिन्दुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील करते हैं।
आगामी विधानसभा आमचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रदेश भाजपा पर काफी दबाव पड़ रहा है और अमित शाह भी इस दबाव का सामना करने को बाध्य हो रहे हैं।
भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व और प्रदेश के नेता भी एक के बाद एक मिल रही हार के कारण मायूसी के दौर से गुजर रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषक और भाजपा नेता अब यह महसूस कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मत डाला था और उनका भाजपा अथवा उसके उम्मीदवारों से लगाव नहीं था।
भाजपा नेता किस बदहवासी का सामना कर रहे हैं, इसका पता इसीसे लगता है कि प्रदेश भाजपा के नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एक बार कहा कि उनकी पार्टी 2017 का चुनाव जीतने के लिए लाठीधारी लोगों का गैंग तैयार करेगी।
उन्होंने कहा था कि समाजवादी पार्टी की लाठी का जवाब उनकी पार्टी लाठी से देगी।
पार्टी के अंदर भी इसके लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी की आलोचना हो रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि उनकी जगह किसी और को प्रदेश पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाय।
जो लोग हिन्दुत्व की राजनीति की वकालत कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पद के लिए वरुण नेहरू को प्रोजेक्ट किया जाय।
लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पसंद वरुण गांधी नहीं हैं और इसके लिए किसी अन्य योग्य व्यक्ति की तलाश की जा रही है।
कांग्रेस का हाल भी वैसा ही है। वहां भी प्रदेश स्तर का कोई बड़े कद वाला नेता नहीं है। प्रदेश के नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा समय दें। उन्हें लगता है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो पार्टी के लिए 2017 के चुनाव का सामना करना मुश्किल हो जाएगा।
निर्मल खत्री प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। उनकी छवि अच्छी है, लेकिन उनमें वह करिश्मा नहीं है, जिसके बूते वे भीड़ आकर्षित कर सकें।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि यदि पार्टी को विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उसे प्रियंका गांधी को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना देना चाहिए और उन्हें ही उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया जाना चाहिए। (संवाद)
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उत्तर प्रदेश अभी भी अखिलेश के नियंत्रण में
नेतृत्वहीन भाजपा और कांग्रेस टक्कर देने की स्थिति में नहीं
प्रदीप कपूर - 2015-06-04 01:18
लखनऊः उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव 2017 में होने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस वहां समाजवादी पार्टी को टक्कर देने की कोशिश कर रही है। लेकिन दोनों में से किसी के भी पास प्रदेश स्तरीय नेता नहीं है। इसके कारण समाजवादी पार्टी को टक्कर दे पाना उन दोनों के लिए कठिन हो रहा है।