राहुल की उस सभा में कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता मौजूद थे। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को छोड़कर शायद ही कोई बड़ा नेता वहां अनुपस्थित रहा हो। उस सभा में पी चिदंबरम थे। उसमें मलिकार्जुन खड़गे थे। भक्त चरण दास भी वहां मौजूद थे। राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया भी वहां थे और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह भी थे। ज्योतिरादित्या सिंधिया ने भी वहां अपने उपस्थिति दर्ज कराई। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव का वहां न होने का तो कोई सवाल ही नहीं था। मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे भी वहां मौजूद थे। उनके अलावा राजीव शुक्ला से लेकर मोहन प्रकाश भी वहां मौजूद थे।

लगता है कि कांग्रेस एकाएक नींद से जागी है और उसने भीमराव अंबेडकर को याद करना शुरू कर दिया है। पिछले कई दशकों से अंबेडकर की कांग्रेस सहित अधिकांश मुख्यधारा की पार्टियों द्वारा उपेक्षा की जा रही थी। अब एकाएक कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा भी अंबेडकर को लेकर काफी संवेदनशील हो गई है।

दलितों के प्रति कांग्रेस की यह संवेदनशीलता तीन दशकों के बाद जगी है। 1977 में बिहार के बाढ़ थाने के बेलछी गांव में सामंतों द्वारा दलितों का नरसंहार किया गया था। बेलछी में उस समय सड़कें नहीं थीं और वह दूरदराज का इलाका था। इसलिए इन्दिरा गांधी को वहां जाने के लिए हाथ पर चढ़ना पड़ा था। श्रीमती गांधी उसी साल सत्ता से बाहर हुई थीं। राजनीति में वापसी करने में बेलछी की वह यात्रा ने इन्दिरा गांधी को काफी सहायता की थी।

अब कांग्रेस की तकदीर को चमकाने के लिए राहुल गांधी ने अपनी दादी का रास्ता अपनाया है। उस समय तो दलितों का नरसंहार हुआ था, लेकिन इस बार महू जाने का कोई तात्कालिक कारण नहीं था। लेकिन राहुल वहां पूरे बल के साथ गए। वहां उनके साथ कांग्रेस नेताओं का बहुत बड़ा मेला लगा।

राहुल की वह रैली बहुत तैयारी के साथ हुई। उनकी उस सभा के पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा था और जिसमें दलितों पर हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई थी। यूपीए की सरकार ने जाते जाते एक अध्यादेश जारी कर दलित एक्ट के प्रावधानों को ज्यादा कड़ा कर दिया था, ताकि दलितों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ और सख्ती से कार्रवाई कर सके। सोनिया ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से मांग की थी कि वर्तमान कानून को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए उसमें संशोधन किया जाय और अध्यादेश को उसके लिए आधार बनाया जाय। कुछ समय पहलं राजस्थान में दलितों का नरसंहार हुआ था। उस नरसंहार की याद भी सोनिया गांधी ने दिलाई थी।

उस पत्र के बाद ही राहुल की सभा वहां हुई, जिसमें कांग्रेस के उपाध्यक्ष ले जाति को समाप्त करने पर जोर दिया और कहा कि जाति के विध्वंस का अंबेडकर का सपना अभी भी सपना बना हुआ है। उन्होंने अंबेडकर के सपने को पूरा करने का संकल्प भी व्यक्त किया।

अंबेडकर की 125वीं जयंती का साल चल रहा है। पूरे साल इसके उपलक्ष्य में कांग्रेस ने समारोह आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है। इसके लिए सोनिया गांधी ने एक कमिटी भी बनाई है। सरकारी स्तर पर भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन सोनिया गांधी कांग्रेस को किसी भी रूप में पिछड़ते हुए नहीं देखना चाहती है।

राहुल गांधी का महू में वह आयोजन कांग्रेस के उन कार्यक्रमों की शुरुआत है। इस सभा से भाजपा में परेशानी का माहौल है और वह भाजपा के नेताओं के बयानों से साफ दिखाई देता है, जिनमें कांग्रेस की अंबेडकर के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए हैं। (संवाद)