केरल का विपक्षी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार पर यह आरोप लगा रहा है और जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनसे तो यही लगता है कि सरकार पर लगाया जा रहा आरोप सही है। विधानसभा में विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन और प्रदेश सीपीएम सचिव के बालाकृष्णन आरोप लगा रहे हैं कि केरल सरकार विता मंत्री के एम मणि को बचाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वह निगरानी विभाग के कानूनी सलाहकार और लोक अभियोजक सी सी आॅगस्तीन का इस्तेमाल कर रही है।
अच्युतानंदन का कहना है कि आॅगस्तीन की नियुक्ति कानून के राज का खुला उल्लंघन है। आगस्तीन की उस समय केरल हाई कोर्ट ने आलोचना की थी, जब वे पामोलीन घोटाले में मुख्यमंत्री चांडी को बचाने की कोशिश कर रहे थे। वे उस मामले मे भी पलीता लगाने की कोशिश कर रहे थे।
अच्युतानंदन का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह आगस्तीन को निगरानी विभाग के सलाहकार के पद से हटा दे और लोक अभियोजक के रूप में उनकी सेवा भी नहंीं ले, क्योंकि हाई कोर्ट ने उनकी एक मामले में फटकार लगाई थी। वे आरोप लगा रहे हैं कि पामोलीन घोटाले में चांडी को बचाने की कोशिश करने के बाद अब वे बार रिश्वत मामले में वित्त मंत्री के एम मणि को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम आधा दर्जन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चार्जशीट दाखिल करना या न करना जांच अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आता है। जांच अधिकारी अपने किसी कानूनी सलाहकार या अपने लोक अभियोजक की सलाह इस मामले मे मानने के लिए बाध्य नहीं है। बार रिश्वत मामले में केरल हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी को कहा है कि वह राज्य सरकार से प्रभावित नहीं हो। सरकार क्या कहती है और क्या नहीं कहती है, इसकी परवाह वह नहीं करे।
2007 में ताज कैरिडोर केस में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कपाड़िया ने अपने आदेश में कहा था कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाया जाय या नहीं, इसका फैसला करने का अधिकार जांच अधिकारी को ही है और इसके लिए वह अपने वकील की सलाह मानने को बाध्य नहीं है। इसलिए बार रिश्वत कांड में जांच अधिकारी ने निगरानी विभाग के कानूनी सलाहकार से सलाह क्यों ली है, यह बात सबाके चिंता में डाल रही है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली केरल सरकार रिश्वत मामले को दबाने की कोशिश कर रही है, इसका सबूत एडीजीपी जैकब का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि निगरानी टीम पर मणि को क्लीन चिट देने के लिए जबर्दस्त दबाव पड़ रहा है।
कांग्रेस लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है। एक तरफ गृह मंत्री रमेश चेनिंथाला कह रहे हैं कि जांच पूरी की जाएगी और उस काम मे कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। लेकिन दूसरी तरफ मुख्यमंत्री चांडी मणि को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होने निगरानी विभाग के सलाहकार से मनमाफिक सलाह सुनिश्चित कर ली है।
अच्युतानंदन संकल्प ले रहे हैं कि बार रिश्वत मामले को दबाने नहीं दिया जाएगा और सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए वे किसी भी हद तक जाएंगे। (संवाद)
बार रिश्वत केस को दबाने की कोशिश
निगरानी टीम को कानूनी सलाह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
पी श्रीकुमारन - 2015-06-11 17:08
तिरुअनंतपुरमः केरल उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी क्या केरल की चांडी सरकार बार रिश्वत से जुड़े मुकदमे को क्या दबाने की कोशिश कर रही है?